इटावा: समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंचे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। सूत्रों का दावा है कि शिवपाल जल्द ही सत्तारूढ़ दल का दामन थाम सकते हैं।
शिवपाल की राज्यसभा के रास्ते भाजपा में इंट्री पर अटकलें 26 मार्च के बाद से लगातार चल रही है,जिसका खंडन शिवपाल और उनके समर्थकों की ओर से अब तक नहीं किया गया है। शिवपाल ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के समक्ष विधायक के रूप मे शपथ ग्रहण कर ली है लेकिन सपा से अनबन के मुद्दे के अलावा भाजपा मे जाने को लेकर चल रही चर्चाओ पर कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है ।
अपने भतीजे एवं सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज दिखाई दे रहे शिवपाल 26 मार्च से इटावा दिल्ली घूम रहे है लेकिन साफ साफ कोई भी बात कहने को तैयार नही है जबकि हर कोई शिवपाल से उनके रुख को लेकर के उनका मत जानना और समझना चाहता है। हालांकि इटावा में शिवपाल ने अपने समर्थकों से मौजूदा हालात को देखते हुये अपने बारे में विचार जाने है कि उन्हे क्या करना चाहिये। समर्थकों ने शिवपाल से साफ साफ कह दिया है कि उनका हर निर्णय में समर्थक साथ होंगे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब समाजवादी गठबंधन सत्ता से दूर हो गया तो शिवपाल ने भतीजे अखिलेश को लेकर के कई तरह के सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया जिनमें ऐसा कहा गया कि समाजवादी संगठन सही ढंग से चुनाव में रणनीतिक भूमिका से नहीं उतरा जिसके नतीजे समाजवादी गठबंधन के पक्ष में नहीं आ सका। इस बीच 26 मार्च को लखनऊ में सपा विधायकों की बैठक आहूत की गई जिसमें शिवपाल को बुलाया नहीं गया। शिवपाल ने इस पर आपत्ति जतायी और कहा कि जब वह सपा के सिंबल पर चुनाव जीते है तो सपा की बैठक से उनको दूर क्यों रखा गया।
शिवपाल की आपत्ति के तुरंत बाद पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने कहा कि सपा के सहयोगी दलों की बैठक 28 मार्च को निर्धारित की गई है जिसमें शिवपाल को भी आमंत्रित किया गया है। शिवपाल के दिल्ली चले जाने के कारण बैठक को 29 मार्च को निर्धारित किया गया मगर उस पर भी शिवपाल नहीं आये और इटावा से भरथना में अपने एक समर्थक के यहां आयोजित भागवत समारोह में शामिल हुए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवपाल विधानसभा चुनाव से पहले ही योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर रहे थे, साथ ही यह भी बोलते चल रहे थे कि सरकार किसी की भी आए वह हर हाल में सरकार का ही हिस्सा होंगे। उस समय शिवपाल सिंह यादव के बयानों का मतलब आसानी से नहीं लगाया जा पा रहा था लेकिन अब यह बात साफ होती हुई इसलिए दिखाई दे रही है जब समाजवादी गठबंधन सत्ता में नहीं आया है तो शिवपाल सिंह यादव एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी की ओर रुख करते हुए दिखाई दे रहे हैं।