सहारनपुर। दक्षिण अफ्रीकी सरकार के अनुरोध पर इंटरपोल द्वारा जारी रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर 2 जून 2022 को संयुक्त अरब अमीरात के दुबई शहर में गिरफ्तार किए गए अतुल गुप्ता और राजेश गुप्ता को यूएई की कोर्ट से बड़ी जीत मिली है। दक्षिण अफ्रीकी सरकार आरोपों को कोर्ट में साबित करने के बजाए इनमें हेरफेर और वांछित प्रक्रिया को दिग्भ्रमित करती रही, जिस पर कोर्ट ने उनके प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया है।
सहारनपुर के मूल निवासी अजय, अतुल और राजेश गुप्ता 1993 में दक्षिण अफ्रीका में गए थे और करीब 25 सालों में गुप्ता बंधुओं ने दक्षिण अफ्रीका में अपने उद्योगों और व्यापार का एक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया। इन पर दक्षिण अफ्रीका में जैकब जूमा के राष्ट्रपतिकाल में स्टेट कैप्चर, मंत्रियों की नियुक्तियों, मनी लांड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में आज तक इन पर कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो सका है। गुप्ता बंधुओं के पारीवारिक मित्र एवं वरिष्ठ पत्रकार जावेद साबरी ने बताया कि ये सभी आरोप दक्षिण अफ्रीका की आंतरिक राजनीति से प्रेरित रहे और तमाम विवाद तभी उठाए गए, जब जब वहां राष्ट्रपति पद के चुनाव का समय आया। गुप्ता बंधुओं के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में पहले पब्लिक प्रोटेक्टर जांच हुई और जब इसमें कोई आरोप साबित नहीं हुआ तो एक न्यायिक आयोग से जांच कराने की सिफारिश की गई। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उप मुख्य न्यायाधीश रेमेंड जोंडो के अधीन कमीशन से भी तमाम आरोपों की जांच कराई, लेकिन इसमें भी कोई आरोप सिद्ध नहीं हो सका था। अब संयुक्त अरब अमीरात की अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोपों में अतुल और राजेश गुप्ता को प्रत्यर्पित करने के दक्षिण अफ्रीका के अनुरोध को भी खारिज कर दिया है।
गुप्ता बंधुओं पर जिस मामले में मनी लांड्रिंग का आरोप था, वह 2010-11 के एक ट्रांजेक्शन से जुड़ा है। दक्षिण अफ्रीका के फ्रीस्टेट की फ्रेडे डेयरी प्रोजेक्ट की फिजिबल इंस्पेक्शन रिपोर्ट के बदले 25 मिलियन रैंड (1.6 मिलियन यूएस डॉलर) का इकबाल मीर शर्मा नाम के व्यवसायी की कंपनी ‘नुलाने’ को सरकारी भुगतान किया गया था, जिससे गुप्ता बंधुओं का कोई संबंध नहीं था। शर्मा ने 19 मिलियन रैंड की राशि दुबई की कंपनी को सेवाओं की एवज में खाते में ट्रांसफर की थी। दक्षिण अफ्रीकी सरकार का आरोप था कि दुबई की यह कंपनी गुप्ता बंधुओं की थी और शर्मा ने 9 मिलियन रैंड अतुल गुप्ता के खाते में ट्रांसफर किए थे, जबकि गुप्ता बंधु इस आरोप से पहले ही इन्कार कर चुके थे। इकबाल मीर शर्मा को दक्षिण अफ्रीका में गिरफ्तार भी कर लिया गया था और शर्मा ने भी साफ कहा था कि गुप्ता बंधुओं के बिजनेस से उनका कोई संबंध नहीं है। 10 साल पुराने मामले में इन्हीं झूठे आरोपों के आधार पर 2021 में अतुल और राजेश के खिलाफ केस दर्ज कर दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने घोषणा की कि दोनों की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जाएगी।
जावेद साबरी ने बताया कि प्रत्यर्पण संधि के तहत अतुल और राजेश को अनंतिम हिरासत में ले लिया गया। यूएई कोर्ट द्वारा बार बार दस्तावेज मांगे जाने के बावजूद निर्धारित अवधि में दक्षिण अफ्रीका ने दस्तावेज नहीं भेजे। 6 महीने के बाद केस से संबंधित जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए, वह कूटरचित थे और गुप्ता बंधुओं ने इन्हें फर्जी साबित कर दिया। जिस प्राधिकारी ने ये दस्तावेज तैयार किए, यह उसके अधिकार में नहीं था। दस्तावेज यूएई कोर्ट में दक्षिण अफ्रीका के न्यायिक प्राधिकारी की ओर से पेश किए जाने थे, लेकिन एक ऐसी महिला अधिकारी की ओर से पेश कराए गए, जो न्यायिक प्राधिकरण में थी ही नहीं और दक्षिण अफ्रीका के अभियोजन पक्ष ने यूएई कोर्ट में इस महिला को न्यायिक प्राधिकरण की प्रमुख बताकर झूठ बोला। गुप्ता बंधुओं के अधिवक्ताओं ने साक्ष्य पेश कर कोर्ट में इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश कर दिया।
दुबई में गिरफ्तारी के बाद दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओं के खिलाफ दो नए वारंट जारी किए गए, जो इंटरपोल के वारंट से अलग थे। इंटरपोल से जिन आरोपों के आधार पर नोटिस जारी कराया था, बाद में उन आरोपों को भी दक्षिण अफ्रीकी अभियोजन पक्ष ने हटा दिया। हालांकि यूएई कोर्ट के फैसले के बाद दक्षिण अफ्रीका सरकार ने इसके खिलाफ अपील करने की बात कही है, लेकिन इसमें कोई दम नहीं है। क्योंकि यह फैसला 13 फरवरी को दिया गया था और अपील का समय गुजर चुका है। उधर, गुप्ता बंधुओं के अधिवक्ता ने एक मीडिया वक्तव्य में कहा है कि पिछले आठ वर्षों में दक्षिण अफ्रीकी सरकार सिविल या आपराधिक मुकदमों में गुप्ता परिवार के किसी भी सदस्य या उनकी कंपनियों के विरुद्ध कोई भी आरोप साबित करना तो दूर, उन्हें कोर्ट तक नहीं ले जा पाई है। दक्षिण अफ्रीका का प्रत्यर्पण अनुरोध गुण-दोष के आधार पर विफल हुआ है।
दक्षिण अफ्रीका के आरोप पर यूएई का जवाब
संयुक्त अरब अमीरात के न्याय मंत्री अब्दुल्ला बिन सुल्तान बिन अवद अल नूमी ने इस मामले में दक्षिण अफ्रीका के न्याय और सुधार सेवा मंत्री रोनाल्ड लमोला के उस मीडिया वक्तव्य पर विस्तृत जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने यूएई पर ‘असहयोग’ का आरोप लगाते हुए कहा था कि हमें इस फैसले से निराश हुई और सदमा लगा। नूमी ने कहा कि यह फैसला एक व्यापक और गहन कानूनी समीक्षा प्रक्रिया के तहत है। प्रत्यर्पण अनुरोध अप्रैल 2021 में लागू समझौते में उल्लिखित कानूनी दस्तावेजों (गिरफ्तारी वारंट) के सख्त मानकों को पूरा नहीं करता है। 29 नवंबर 2022 को यूएई के न्याय मंत्रालय ने कई बैठकें करने के बाद दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों से मूल प्रत्यर्पण फाइल प्राप्त की। व्यापक जांच के बाद फ़ाइल को अदालत में भेजा गया, जिसने तीन सुनवाई के बाद, अपना निर्णय जारी किया। हर बार यूएई के न्यायिक अधिकारी अपने दक्षिण अफ्रीकी समकक्षों को कार्यवाही के बारे में जानकारी देते रहे। यूएई में सक्रिय रूप से 44 द्विपक्षीय पारस्परिक कानूनी सहायता समझौते हैं। अकेले 2023 में अंतरराष्ट्रीय संदिग्धों और अन्य व्यक्तियों से संबंधित 30 प्रत्यर्पण अनुरोधों को मंजूरी दी गई है।