अब तक कुल आठ एयरपोर्ट को परिचालन के लिए निजी हाथों में सौंपे, उनमें से सात अडाणी के पास

इस साल के मैन ऑफ द ईयर है ‘गौतम अडानी’ देश का मुख्य मीडिया उनके चरण चुम्बन ले रहा है उनकी अमीरी पर लहालोट हो रहा है वैसे यदि आप जानने के इच्छुक हैं कि 2014 से पहले मुख्यमंत्री मोदी को निजी प्लेन मुहैया कराने वाले गौतम अडानी की सम्पत्ति मोदी राज के साढ़े सात साल में दिन दूनी रात चौगुनी की रफ्तार से कैसे बढ़ी और वह एशिया के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति कैसे बन गए तो यह लेख पढ़े, दरअसल भारत मे मोदी सरकार ने निजीकरण की आड़ में सारे बड़े ठेके और सरकारी सम्पत्ति अडानी के हवाले कर दी है।

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सबसे पहले बात करते हैं एयरपोर्ट के निजीकरण की, बने बनाए एयरपोर्ट अडानी को सौप दिए गए हैं भारत में अब तक कुल आठ एयरपोर्ट को परिचालन के लिए निजी हाथों में दिया गया है. इनमें से सात एयरपोर्ट के प्रबंधन और परिचालन का अधिकार अकेले गौतम अडानी की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पास है. आगे भी और जितने भी एयरपोर्ट के निजीकरण  के ठेके बाँटे जाने हैं वे भी अडानी को ही मिलने लगभग तय है।

2018 मे मोदी सरकार ने ‘सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन’ परियोजना को शुरू किया था जैसे ही यह परियोजना शुरू की गई, अडानी ग्रुप की एक कंपनी अडानी गैस की मार्केट वैल्यू चार दिन के भीतर ही तीन हजार करोड़ रुपए बढ़ गई  क्योकि अडानी गैस को मोदी सरकार की सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट में बड़ा ऑर्डर दिया गया, इस परियोजना के शुरू होते ही पेट्रोलियम एंड नैचुरल गैस रेग्युलेटरी बोर्ड (पीएनजीआरबी) से अडानी को 13 नए एरिया में सिटी गैस के विस्तार करने का ठेका दे दिया, 2021 दिसंबर में भी खबर आई है कि सीएनजी और घरों में पाइप से रसोई गैस के लाइसेंस के लिए सिटी गैस बिडिंग राउंड में अदानी टोटल गैस लिमिटेड ने सबसे ज्यादा 52 क्षेत्रों के लिए बोली लगाई है.

ठीक ऐसा ही देश के हाइवे निर्माण की सबसे बड़ी परियोजना भारत माला प्रोजेक्ट में हुआ है मोदी सरकार का NHAI जो बड़े बड़े ठेके दे रहा है वो सब अडानी को ही जा रहे हैं यूपी की बीजेपी सरकार ने गंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण भी अडानी को सौप दिया। यह देश की किसी निजी कंपनी को दी गई अब तक की सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजना है। अडानी ग्रुप के पास फिलहाल 13 ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिनके तहत पांच हजार किमी से ज्यादा की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।

ग्रीन एनर्जी जो आने वाले दिनों में सबसे महत्वपूर्ण होने जा रही है उसके ठेके भी अडानी को दिए जा रहे हैं अडानी ने दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी ग्रीन पावर परचेज डील की है.ओर यह उसने इसलिए किया है क्योंकि दो साल पहले अडानी को मोदी सरकार से दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट हासिल हुआ, अडानी को ये प्रोजेक्ट भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) से मिला है।

बिजली के क्षेत्र में भी अडानी की बादशाहत है. अडानी की कम्पनी ATL मोदी राज में ही देश की सबसे बड़ी निजी ट्रांसमिशन कंपनी बन गयी है जिसका कुल ट्रांसमिशन नेटवर्क 18,800 सर्किट किलोमीटर में फैला है. इसमें 13,200 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन्स चालू हालत में हैं, जबकि 5600 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन्स का निर्माण हो रहा है. यह कंपनी मुंबई में लगभग 30 लाख से ज्यादा ग्राहकों तक बिजली पहुंचाने का काम भी करती है अभी कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश में पावर ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने और उनका संचालन करने वाली केंद्र सरकार की एक अहम कंपनी का अधिग्रहण अडानी करने जा रहा है।

अडाणी समूह की कंपनी ATL को इस सौदे के जरिए मध्य प्रदेश में 35 साल तक ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स के निर्माण, स्वामित्व, संचालन और रखरखाव का अधिकार मिल जाएगा। ऐसा ही अन्य कई बीजेपी शासित राज्यों में किया जा रहा है और इसी निजीकरण के खिलाफ देश भर के बिजली कर्मी हड़ताल कर रहे हैं।

मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए अडानी ने देश के छोटे बड़े बंदरगाह पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया था, और आज अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन भारत के सबसे बड़े पोर्ट संचालक हैं, APSEZ के पास देश के 24 फीसदी पोर्ट है यह देश की सबसे बड़ी पोर्ट डेवलपर और ऑपरेटर है जिसका पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स सर्विसेज में दबदबा है. एपीएसईजेड के के पास इस समय 11 रणनीतिक पोर्ट्स और टर्मिनल्स हैं जो देश की कुल पोर्ट कैपेसिटी का करीब 24 फीसदी है। मोदी राज में कई पोर्ट्स को सरकार ने अडानी को सौप दिया है।

इसके अलावा डिफेंस के बड़े बड़े ठेके भी अडानी को ही देने की तैयारी है, रेलवे स्टेशन के अधिग्रहण में अडानी रुचि रख रहा है , साफ है अडानी जिस फील्ड में उतरता है उस फील्ड के तमाम ठेके हासिल कर वह वहाँ सबसे बड़ा खिलाड़ी बन जाता है. जब 140 करोड़ आबादी के देश का प्रधानमंत्री किसी उद्योगपति को अमीर बनाना चाहता है तो उसका विश्व के टॉप टेन अमीरों में आना तो तय है ना!

(लेखक पत्रकार एंव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)