स्मृति ईरानी दो मंत्रालय से निकाले जाने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनी थीं। सूचना प्रसारण मंत्रालय मिलते ही सबसे पहले उन्होंने सरकारी सूचना तंत्र की सबसे बड़ी संस्था प्रसार भारती में भ्रष्टाचार करना शुरू कर दिया। देश की स्वायत्त संस्था प्रसार भारती के अंतर्गत ऑल इंडिया रेडियो और देश का पहला टीवी चैनल दूरदर्शन आते हैं। स्मृति ईरानी ने आते ही देश की सबसे बड़ी सूचना प्रसार संस्था में दो ऐसे चीफ एडिटरों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी देने का प्रस्ताव रख दिया जो लोग छोटे-छोटे चैनलों के एडिटर थे। इनकी योग्यता यह है की अभिजीत मजूमदार ने कासगंज में हिंसा भड़काने के लिए फ़र्ज़ी वीडियो वायरल किया था। उनकी सैलरी का पांच गुना बढ़ा कर एक करोड़ सालाना का पैकेज देकर शायद इनाम दे रहीं थीं। जबकि इतनी सैलरी प्रसार भारती अपने सबसे वरिष्ठ अधिकारीयों/डायरेक्टरों को भी नहीं देता।
इसी के साथ स्मृति ईरानी ने पूरी संस्था के कर्मचारियोंके ट्रांसफर/नियुक्ति की ताकत रखने वाले पद पर भी अपने एक खास आदमी की नियुक्ति का प्रस्ताव रख दिया जो संविधान के खिलाफ था लेकिन स्मृति ईरानी संविधान में अपवाद जोड़ना चाहतीं थीं। इन सारे प्रस्तावों को प्रसार भारती के डायरेक्टर सूर्य प्रकाश ने ठुकरा दिया तो स्मृति ईरानी ने सारे संविधा कर्मचारियों की नौकरी ख़त्म करने का लैटर जारी कर दिया
स्मृति ईरानी अडिशनल डायरेक्टर जयश्री मुख़र्जी को हटा कर अली रिजवी को बिठाने में कामयाब हो गईं, जिसके बाद असली खेल शुरू हो गया। ईरानी ने इंडियन इनफॉर्मेशन सर्विस (IIS) कैडर के 500 में से 140 अधिकारीयों के ट्रांसफर सिर्फ 5 -6 महीनों में कर दिए। श्रीनगर से IIS कैडर की डायरेक्टर जनरल भारती वैद का ट्रांसफर और सेवा समाप्त, जबकि दो साल बाद उनका रिटायरमेंट था। सभी Indian Information Service Officers (IIS Cadre) ने प्रधानमंत्री मोदी को MIndless Trasfers नामक Meomrendum भेजा। मेमोरेंडम पर मोदी जी ने कोई एक्शन तो नहीं लिया उल्टा ईरानी जे ने भेजने वाली IIS असोसिएशन के प्रेसीडेंट सेनगुप्ता को तत्काल प्रभाव वाला ट्रांसफर लेटर जरूर थमा दिया।
प्रसार भारती के अधिकारीयों का कहना है की स्मृति ईरानी इस बात से नाराज हैं की प्रसार भारती ख़बरों को इस तरह नहीं दिखाता जिससे मोदी सरकार की नीतियों की सफलता दिखे। एक अधिकारी ने बताया की ईरानी किसी तानाशाह की तरह काम कर रही थी, किसी भी छोटी बात के विरोध पर तुरंत सजा के तौर पर ट्रांसफर कर देतीं हैं भले उनका आदेश असंवैधानिक हो। एक अधिकारियों ने बेइज्जत होकर त्यागपत्र देने के बाद बताया की उसने अपने 25 साल की नौकरी में इतना घमंडी और सनकी मंत्री नहीं देखा।
स्मृति ईरानी ने कई अधिकारियों को मानसिक व सामाजिक रूप से तनावमय कर दिया, शायद ऐसे ही तनाव से हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला गुजरना पड़ा होगा। वो एक युवा छात्र थे जो टूट गए, ये लोग अनुभवी हैं इस लिए अड़ गए। उन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है इस लिए पद त्याग दिया, कहीं और नौकरी मिल जाएगी, रोहित वेमुला के भविष्य का एक ही आसरा था शिक्षा। इसलिए वेमुला ने जीवन त्याग दिया। लेकिन आगे और वेमुला न बनें इसके लिए हमने स्मृति ईरानी के कार्यों पर नज़र रखी, इनकी मनमानियों का विरोध किया?
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)