नई दिल्लीः धर्मांतरण कराने के आरोप में गिरफ्तार किए गए डॉ. उमर गौतम उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के एक गांव के रहने वाले हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने नोएडा की डीफ सोसायटी के छात्रों का धर्मांतरण कराया है, इसके अलावा उन पर धर्मांतरण के लिये पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंडिंग का भी आरोप लगा है। उमर गौतम पहले खुद हिंदू थे, उन्होंने 80 के दशक में इस्लाम धर्म स्वीकार किया था। उमर गौतम की पत्नी रज़िया ने एक प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री को दिए गए साक्षात्कार में श्याम प्रताप सिंह गौतम से उमर गौतम बनने की घटना पर भी प्रकाश डाला है।
रज़िया ने बताया कि जब वे (श्याम प्रताप सिंह गौतम) उत्तराखंड में गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय में बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान विश्वविद्यालय में उनके नासिर खान नाम के एक दोस्त हुआ करते थे, नासिर मुसलमान थे। रज़िया बताती हैं कि, “नासिर हर हफ्ते मेरे पति को साइकिल पर बैठाकर मंदिर ले जाते थे।” “एक दिन, श्याम ने उनसे पूछा कि वह उनके साथ इतनी लगन से मंदिर क्यों गया। ‘मेरे भगवान को खुश करने के लिए,’ नासिर ने जवाब दिया। ‘मेरा धर्म मुझे अपने हक़ूक़ वालों की देखभाल करना सिखाता है’। इस घटना ने श्याम के जीवन की दिशा बदल दी।”
क्या था नासिर की बात का मतलब
“मेरे हक़ूक में” से, नासिर का मतलब अपने सामाजिक दायरे के उन लोगों से था, जिनके प्रति उनके धर्म में उनका दायित्व था। नासिर के जवाब के बाद श्याम ने एक महीना बाइबिल, गीता और कुरान पढ़ने में बिताया और फिर इस्लाम धर्म अपना लिया। उन्होंने अपना नाम मोहम्मद उमर गौतम रख लिया। रज़िया बताती हैं कि उनका मतांतरण सामान्य से बाहर नहीं था, फतेहपुर और उसके आसपास के कई गांवों में राजपूतों को इस्लाम में परिवर्तित होते देखा गया है।