नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के 9 दिन गुजरने के बाद भी यूक्रेन में फंसे सभी भारतीय छात्रों को रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। हजारों भारतीय छात्र अब भी यूक्रेन में संघर्ष वाले क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। इसी बीच यूक्रेन से वापस आई एक भारतीय छात्रा ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
हम समवेत की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के सहरसा की रहने वाली प्रतिभा विनिस्तिया ने कहा है कि, ‘रोमानिया के लोगों ने हमारी अच्छी मदद की, रुकने की जगह दी और भर पेट खाना खिलाया। रोमानिया में हमें जो इंडियन एंबेसी के लोग मिले और उन्होंने हमसे बहुत ही गंदा व्यवहार किया। उन्होंने हमें ऑफर दिया कि जो बाथरूम साफ करेगा, हम उसे पहले भारत ले जाएंगे और बाकी लोगों को बाद में।’
प्रतिभा के मुताबिक रोमानिया बॉर्डर तक जाने के लिए भी छात्रों को खुद ही पहल करना पड़ा। उनसे बॉर्डर तक जाने के लिए बस वालों ने प्रति छात्र 6 हजार रुपये वसूले। छात्रा ने संदेह जताया की इसमें एजेंट्स और एंबेसी वाले दोनों मिले हुए थे। प्रतिभा ने कहा, ‘बस से 14 घंटे का सफर तय करके हम रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचे। छात्र इतने थके हुए थे कि किसी की हिम्मत नहीं थी कि बाथरूम साफ करें, लेकिन वो भी जल्द से जल्द इंडिया वापस जाना चाहते थे। घर जाने की इतनी बेसब्री थी कि कुछ स्टूडेंट टॉयलेट साफ करने चले गए।’
मेडिकल यूनिवर्सिटी की फोर्थ ईयर की स्टूडेंट प्रतिभा ने बताया कि पहले तो एंबेसी के लोग कॉल अथवा मैसेज का जवाब नहीं दे रहे थे। इसके बाद हमारी एक दोस्त ने जब असलियत दिखाने के लिए फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया, तो तुरंत एम्बेसी से फोन आ गया और वीडियो डिलीट करने के लिए दबाव बनाया गया।’
बता दें कि केंद्र सरकार का दावा है कि ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक, 48 फ्लाइटों से 10,300 से ज्यादा भारतीयों को वापस लाया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि यूक्रेन में करीब-करीब 2 से 3 हजार और भारतीयों के यूक्रेन में फंसे होने की आशंका है। यह आंकड़ा घट-बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि कम से कम एक हजार भारतीय छात्र यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाके में हैं।