प्रधानमंत्री महोदय! आज आप देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। और आज के नहीं, बल्कि पिछले चार दशक से आप जैसा चमत्कारिक नेता नहीं हुआ। आपकी तुलना सिर्फ़ और सिर्फ़ इंदिरा गांधी से हो सकती है। लेकिन वह जितनी शॉर्प, रणनीति-कुशल और राजनीतिक फ़ैसले लेने में निर्मम थीं, आप उतने ही लचर और पोच व कमजोर हो, ठीक अपने पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी की तरह। बेचारे वाजपेयी जी को तीन में से एक भी बार बहुमत नहीं मिला, लेकिन आप तो पहली बार ही धड़ाके से जीत ही नहीं गए, बल्कि पूर्ण बहुमत ले आए। जिसकी कल्पना तक लोग नहीं कर पा रहे थे। राजनीति में व्यंग्य बाण नहीं चलाए जाते, बल्कि पीछे से वार किया जाता है। आप कुछ दिन गीता पढ़ो। कृष्ण की कुटिल चालों पर ग़ौर करो। कैसे वे सारे प्रबलतम शत्रुओं को धराशायी करते हैं। इसके लिए कुछ सुझाव मैं आपको दे रहा हूँ। ध्यान रखना, कि आप मुझे कोई छोटा-मोटा फ़ेसबुकिया या टटपुंजिया पत्रकार मत समझ लेना। मेरी नज़र तीक्ष्ण है और मेरा आकलन सटीक बैठता है। याद है, 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय नतीजे आने के काफ़ी पहले 27 फ़रवरी को मैंने लिखा था, कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को 250 से अधिक सीटें मिलेंगी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनेंगे। पूरे 21 दिन बाद यही हुआ।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी मैंने यही कहा था, कि या तो मोदी 350 सीटें जीत कर लाएँगे अथवा ख़ुद बनारस से चुनाव हार जाएँगे। आप साढ़े तीन सौ के क़रीब जीत कर लाए। और यह मैंने कोई किसी ज्योतिषी की तरह भविष्यवाणी नहीं की थी, बल्कि उत्तर प्रदेश के तमाम लोकसभा क्षेत्रों का दौरा करने के बाद आकलन किया था। इसलिए मैं आपको यह सुझाव दे रहा हूँ।
पहला काम तो यह करिए, कि आप प्रधानमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष का पद भी ख़ुद सँभालिये। इंदिरा गांधी ने यही किया था। राजनीति में द्वैत नहीं चलता। मन में भाव लाएँ- द्वितियोनास्ति! इसके बाद आरएसएस की पार्टी में दख़लंदाज़ी बंद कराएँ, क्योंकि भाजपा आपके बूते शासन में है, किसी शाखाई-मृग के बूते नहीं। यूँ भी आप जितनी सीटें जीते हो, उतनी आरएसएस के बूते की नहीं।
सारे संवैधानिक पदों से मूर्खों और दसवीं फेल जैसे लौंडों का दिमाग़ रखने वाले बूढ़ों और छोकरों को भगाइए। नए नामों का चयन करें। मंत्रिमंडल को फेंटिए। पहले तो नितिन गडकरी जैसे चितपावन संघ-दीक्षित नेता को आप केरल का गवर्नर बनाकर भेज दीजिए। आप कहेंगे, कि अभी वे निष्क्रिय नहीं हैं, अभी गवर्नर लायक़ उनकी उम्र नहीं है। किंतु निर्मम बनिए। राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह को इसी उम्र और खूब सक्रियता के बावजूद पंजाब का राज्यपाल बनाया था। नितिन गडकरी केरल के सीपीएम मुख्यमंत्री के साथ अच्छे रिश्ते बना लेंगे, जिससे आपको लाभ होगा।
केरल के मौजूदा गवर्नर आरिफ़ मोहम्मद खान को केंद्र में लाकर उन्हें मानव संसाधन मंत्री बनाएँ। और इस विभाग के मौजूदा मंत्री निशंक को कुछ दिन आराम दें, या कोई कम महत्त्व का मंत्रालय थमाएँ। आरिफ़ मोहम्मद खान बहुत पढ़े-लिखे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में ऊर्जा तो बहुत है, लेकिन ब्यूरोक्रेसी और पुलिस पर उनका क़ाबू नहीं है, इसलिए उन्हें भी केंद्र में बुलाकर रक्षा मंत्री का दायित्त्व सौंपें। और उनके स्थान पर ठाकुर राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भेज दें। वे जाना भी चाहेंगे, और चूँकि ठाकुर के स्थान पर ठाकुर लाए हैं, इसलिए कोई चूँ-चपड़ नहीं करेगा। अधिक से अधिक यही होगा, कि उत्तर प्रदेश में चीफ़ सेक्रेटरी और डीजीपी के पद पर कोई सिंह बैठेगा और कुछ ज़िलों के डीएम और एसएसपी भी सिंह हो जाएँगे। होने दीजिए, क्या फ़र्क़ पड़ता है। लेकिन आपके नाम पर आठ-आठ आँसू रोने वाले कई सिंह पत्रकार सियार बन जाएँगे।
इसी तरह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को भी दिल्ली बुलाएँ, उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय सौंपे। ग्राम स्तर पर उनका काम बहुत अच्छा है। उनकी जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बना दें। आप कहेंगे, कि योगी और शिवराज आपके लिए ख़तरा बन सकते हैं। हाँ, बन सकते हैं। लेकिन वही बन सकता है, जो प्रतिद्वंदी को परास्त कर सके। दोनों में से कोई किसी को नहीं कर सकता।
मौजूदा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पुनः स्वास्थ्य मंत्री बनाएँ और डॉ. हर्षवर्धन को विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय दें। अमित शाह को गुजरात भेज दें और विजय रूपानी को यहाँ बुला लें। मुख़्तार अब्बास नकवी न लीपने के न पोतने के, इसलिए उन्हें संघियों का ही दामाद बना रहने दें और उनका विभाग किसी अन्य को दें। पार्टी महासचिव भूपेन्द्र यादव निष्ठावान और गतिशील हैं, उन्हें सरकार में लेकर रेलवे मंत्रालय सौंपें।
इसी तरह पार्टी पदाधिकारी अनिल बलूनी युवा और तेज-तर्राक हैं, उन्हें भी सरकार में ला कर सड़क परिवहन मंत्रालय दिया जाए। पार्टी प्रवक्ता ज़फ़र इस्लाम को भी सरकार में लें और उन्हें वित्त मंत्रालय दिया जाए। वे बहुत पढ़े-लिखे और समझदार हैं। भव हो तो पी. चिदम्बरम को अपनी सलाहकार मंडली में रखें। अब ये सुझाव मैं दे रहा हूँ, देखना कि मोदी जी आप क्या करते हैं।
आपका शुभाकांक्षी
शंभूनाथ शुक्ल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)