परवेज़ त्यागी
वेस्ट यूपी के दौरे पर आए भाजपा के चाणक्य और देश के गृह मंत्री अमित शाह के बोल भाजपा की सियायत के लिए बड़ा संदेश दे गए। अमित शाह के शब्दों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भविष्य की राजनीति को संशय में डाल दिया है। अगर उनके बोल, सीएम का चेहरा नहीं, भाजपा का चुनाव निशान देखें। इसका अर्थ सियासी मायने में समझे तो उनका इशारा इस बात के संकेत दे रहा है कि, इस बार भाजपा की सूबे में सरकार बनने पर मुख्यमंत्री का चेहरा बदला पर भी जा सकता है।
पहले चरण के मतदान से पूर्व इस तरह के उनके शब्द साफ तौर पर योगी के चेहरे पर संशय बना रहे हैं। बीते शनिवार को वेस्ट यूपी का जाटलैंड कहे जाने वाले जिलों में गृह मंत्री अमित शाह ने डोर-टू-डोर प्रचार करने के साथ ही प्रबुद्ध लोगों के साथ अलग-अलग बैठकें की। इस दौरान उन्होंने मतदाताओं से सीएम के चेहरे से इतर पार्टी के लिए वोट मांगा। कहा कि न प्रत्याशी देखें और न ही सीएम का चेहरा, बस भाजपा का चुनाव निशान देखकर बटन दबाएं। अमित शाह के इस बयान से यूपी भाजपा की सियायत में बड़े बदलाव के संकेत हैं।
भाजपा में सीएम को लेकर रही अंतर्कलह
यूपी में सीएम को लेकर भाजपा में अंतर्कलह सूबे में पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही शुरु हो गई थी। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान सरीखे कई बड़े ओबीसी नेता योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाए जाने से पूरे कार्यकाल खफा रहें। इतना ही नहीं कई मौके पर यह कलह खुलकर बाहर भी आई, मगर हर बार पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने इस मामले को बढ़ने से पहले ही कंट्रोल कर लिया।
योगी के कार्यकाल में विभागों के कामों और अधिकारियों की तबादला व तैनाती के मसले पर समय-समय पर नेताओं में तनातनी होने की खबरें छन-छन कर बाहर आती रही हैं। शायद यही वजह है कि मौजूदा मुख्यमंत्री होते हुए भी इस बार के चुनाव में भाजपा योगी आदित्यनाथ को खुलकर चेहरा दर्शाना से बच रही है। इतना ही नहीं दर्जनभर से अधिक मंत्री-विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद पिछड़ों की नाराजगी का अंदाजा भी बीजेपी नेतृत्व को है। इसीलिए चुनाव की कमान पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा संभाले हुए हैं। ऐसे में भाजपा के चाणक्य की वेस्ट यूपी में सीएम चेहरे को लेकर कही गई बात यूं ही नहीं है, कुछ तो जिसका संदेश देने की कोशिश है।