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शादाब का तंज, ‘सरकार इतने बिल ला रही है, एक और बिल लाए और देश भी अंबानी, अडानी को सौंप दे’

नई दिल्लीः केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बिल के विरोध में एनडीए के घटक दल अकाली दल की नेता और केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने मंत्रीमंडल से इस्तीफा भी दे दिया है। अब पीस पार्टी ने किसानों की लड़ाई का समर्थन किया है। पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शादाब चौहान ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार किसान विरोधी बिल लेकर आई है, जिसके तहत वह कृषि को भी पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है।

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शादाब चौहान ने कहा कि इस सरकार ने निजीकरण करके रेल बेच दी, एयरपोर्ट बेच दिया, बीएसएनएल बेच दिया गया, किसान बचा था, जिसे धरती पुत्र कहा जाता है, जिसे अन्नदाता कहा जाता है अब उसे बेचने के लिये बिल लाया गया है।  उन्होंन् आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों के वजूद को मिटाना चाहती है।

पीस पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि अन्नदाता आत्महत्या को मजबूर है। लेकिन इससे बेपरवाह भाजपा सरकार अब उसका वजूद भी मिटाना चाहती। शादाब ने कहा कि इस बिल को सरल भाषा मे समझने के लिये इतना काफी है कि किसान अपने ही खेत में ग़ुलामों की तरह काम करे, वह अपनी फसल का दाम भी न तय कर पाए। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत बड़ा षड़यंत्र है। अगर किसान ने इस षड़ंयत्र को नहीं समझा तो आने वाले समय में उसकी स्थिती और बदतर हो जाएगी।

तो अंबानी, अडाणी ही देश चला लेंगे

पीएम मोदी को संबोधित करते हुए शादाब चौहान ने कहा कि सबकुछ निजीकरण ही कर रहे हो तो एक और बिल क्यों नहीं ले आते कि देश को सांसद, विधायक मंत्री नहीं बल्कि अंबानी, अडाणी चलाएंगे। तब क्या जरूरत है विधायक सांसदों पर पैसा खर्च करने की, सीधे तौर पर अंबानी अडाणी को ही देश सौंप दीजिए वही लोग देश चला लेंगे। उन्होंने कहा कि पीस पार्टी किसानों की लड़ी में पूरी तरह साथ है, चाहे वह एमएसपी का मामला हो, या स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू कराने का मामला है। ये जो बिल लाया जा रहा है इसमें सबसे बड़ा मसला एमएसपी का रहेगा, जिस प्रकार ग़ुलाम भारत में अंग्रेज सरकार को किसानों द्वारा कर दिया जाता था, उसी प्रकार यह बिल है।

शादाब ने कहा कि आज स्थिती यह है कि गन्ने का भुगतान शुगर मिल द्वारा कमसे छ महीने बाद किया जाता है, साल भर तक भी शुगर मिल भुगतान को लटकाकर रखते हैं। अगर अन्नादाता सुरक्षित नहीं है, अगर अन्नदाता को सम्मान नहीं है, अगर यह सरकार किसान को संतुष्ट नहीं कर सकती तो इस सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए, हम पूरी तरह किसानों की लड़ाई के साथ हैं. हम किसानों की तमाम मांगों का समर्थन करते हुए मांग करते हैं कि किसानों की मांगों को तुरंत सुना जाए, और उनकी मांग पूरी की जाएं।