नई दिल्ली/मेरठः साल भर पहले विवादित नागरिकता क़ानून के खिलाफ आज ही के दिन उत्तर प्रदेश में हिंसा हुई थी। इस हिंसा में लगभग 30 आंदोलनकारियों की जान गई थी। आज पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर शादाब चौहान आंदोलन में जान गंवाने वाले संविधान सेनानियों के परिजनों से मिले। इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का वादा किया। बता दें कि उत्तर प्रदेश में 20 दिसंबर को सीएए विरोधी आंदोलन में हिंसा हो गई थी इस हिंसा को ‘रोकने’ के लिए पुलिस ने गोली चलाई थी जिससे तीस लोगों की जान चली गई थी।
पीस पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि हमने वादा किया है कि पीस पार्टी संविधान सेनानियों के हर एक मुकदमे को लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पहले से ही पीस पार्टी द्वारा संविधान सेनानियों की लड़ाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले सत्ता परिवर्तन में अगर पीस पार्टी शामिल रही तो संविधान सेनानियों को शहीद का दर्जा एंव परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाएगी। शादाब ने कहा कि इन लोगों ने सरकार द्वारा लाए गए नस्लवादी क़ानून के विरोध में अपनी जान की क़ुर्बानी दी है, ये क़ुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी।
बता दें कि साल भर पहले केन्द्र सरकार द्वारा सीएबी लाया गया था, जो राज्यसभा और लोकसभा में हंगामे के बीच पारित होकर सीएए बन गया था। इस क़ानून धार्मिक आधार पर देश के नागरिकों का बंटवारा एंव भेदभाव वाला क़ानून बताकर पूरे देश में आंदोलन हुए थे। सीएए के विरोध में देशभर में आंदोलन हुए, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह आंदोलन हिंसक हो गया था जिसमें तीस लोगों की जान चली गई थी। केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए इस क़ानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंग्लादेश से आए सिख, ज़ैन, बोद्ध, हिंदू एंव ईसाई को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जबकि मुसलमानों को इस सूची से बाहर रखा गया है।
शादाब ने कहा कि नागरिकता देने का क़ानून पहले से ही मौजूद था लेकिन वह धार्मिक भेदभाव पर नहीं करता था, इसलिये एनडीए सरकार ऐसा विवादित क़ानून लेकर आई जो धर्म के आधार पर समाज का बंटवारा करता है। उन्होने कहा सीएए को जब एनआरसी, एनपीआर के साथ जोड़कर देखते हैं तब इसके दुष्परिणाम साफ दिखाई देते हैं।