उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार खुर्शीद रब्बानी की PM मोदी और राज्य सरकारों से ‘राजधर्म’ निभाने की अपील

नई दिल्लीः देश में बढ़ रही नफ़रत को लेकर बुद्धिजीवी वर्ग प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाता रहा है। इसी क्रम में इलैक्ट्रॉनिक मीडिया (उर्दू) के जाने-माने पत्रकार खुर्शीद रब्बानी ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। खुर्शीद रब्बानी ने सवाल करते हुए पूछा कि देश में बढ़ती नफ़रत को ख़त्म करने के लिए कोई ठोस क़दम क्यूं नहीं उठाए जा रहे? इसके साथ ही खुर्शीद रब्बानी ने मुस्लिम समाज और धर्म गुरुओं से भी हालात को समझने एंव उत्तेजित न होने की अपील की है।

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खुर्शीद रब्बानी ने ट्वीट किया कि “मोदी जी, आज के हालात और आपकी लोकप्रियता को देखते हुए मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि दुनिया की कोई ताक़त आपको आजीवन हरा नहीं सकती और अब आपको जीत के लिए हिन्दू-मुस्लिम, पाकिस्तान या नफ़रती एजेंडे की भी ज़रूरत नहीं है! अब जबकि आपको कोई हरा ही नहीं सकता तो फ़िर देश में बढ़ती नफ़रत को ख़त्म करने के लिए कोई ठोस क़दम क्यूं नहीं उठा रहे?” इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम नौजवानों से भी अपील की है कि वे किसी के बहकावे में आकर सड़कों पर न उतरें, क़ानून को व्यवस्था को अपने हाथ में न लें।

अपने सवालों का सिलसिला जारी रखते हुए खुर्शीद रब्बानी ने सवाल किया कि “क्यूं नफ़रतबाज़ों के ख़िलाफ एक्शन नहीं ले पा रहे? ये सच है कि आप देश में इकलौते सुपर पॉवर हैं! न सरकार, न भाजपा और न ही आरएसएस में कोई आपसे अधिक ताक़तवर है, जो आपके फैसले के ख़िलाफ जा सके, फिर क्यूं आप हिम्मत नहीं दिखा पा रहे? ये ख़ामोशी क्यूं? आख़िर हिंसा, नफ़रत व ज़हरीली टीवी डिबेट्स को कब रोका जाएगा?” खुर्शीद रब्बानी ने कहा कि हमारा (भारत का) मुक़ाबला यूरोप अथवा अमेरिका से होना चाहिए न कि अफ़ग़ानिस्तान या पाकिस्तान से। उर्दू के इस वरिष्ठ पत्रकार ने केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों से भी राजधर्म निभाने की अपील की है। खुर्शीद रब्बानी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ द्वेषभावना से कार्रावाई न हो, प्रशासन कोर्ट द्वारा फैसला सुनाने से पहले ही जज बन रहा, यह लोकतंत्र के लिये सही नहीं है। उन्होंने कहा कि बुलडोज़र किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि समाधान बात-चीत से निकाला जाए।  

नवीन कुमार जिंदल पर भी उठाया था सवाल

दो दशक से इलैक्टॉनिक मीडिया उर्दू में कार्यरत खुर्शीद रब्बानी ने भाजपा के दिल्ली प्रदेश के पूर्व मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल द्वारा पैगंबर-ए-इस्लाम पर की गई अपमानजनक टिप्पणी पर भी भारतीय जनता पार्टी के मुस्लिम नेताओं, तथा चोटी को लीडरशिप से सवाल किया था।

खुर्शीद रब्बानी ने सवाल किया था कि क्या भाजपा में कोई ऐसा नेता नहीं जो भाजपा दिल्ली के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल द्वारा मुसलमानों और उनकी आस्था के खिलाफ़ भड़काऊ और ज़हरीले बयानों पर रोक लगाने की बात कह सके? पार्टी के मुस्लिम नेता भी क्यूं ये हिम्मत नहीं जुटा पा रहे?

रब्बानी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी सवालों को घेरे में खड़ा करते हुए कहा था कि क्या राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग व उसके जिम्मेदारों को इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए मुस्लिमों के ख़िलाफ नफरत फैलाने पर BJP नेता को नोटिस भेज उनसे जवाब तलब नहीं करना चाहिए? क्या राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को ऐसे बयानों पर रोक लगाने के लिए क़दम नहीं उठाने चाहिए?