निसार अहमद सिद्दिक़ी
इस्लामी कैलेंडर के महीने रमज़ान के आख़िरी जुमा को क़ुद्स दिवस मनाया जाता है। इस बार क़ुद्स दिवस के रोज़ फ़िलस्तीनियों और इजरायल की सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी। अब सोशल मीडिया पर मस्जिद ए अक़्सा में नमाज़ अदा करने की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। मस्जिद ए अक़्सा मुसलमानों के नज़दीक आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक केंद्र है।
सूरह युनूस में अल्लाह कहता है- “तुमसे पहले कितनी ही नस्लों को, जब उन्होंने अत्याचार किया, हम नष्ट कर चुके हैं। हालाँकि उनके रसूल उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए थे। किन्तु वे ऐसे न थे कि उन्हें मानते। अपराधी लोगों को हम इसी प्रकार बदला दिया करते हैं।” ये वादा अल्लाह का अपने बंदों से है। इसी बुनियाद पर ज़ालिम के सामने डट जाना सच्चा इमान है। बैतुल मुक़द्दस मस्जिद अल अक़्सा पर आज की रात जुटे युवाओं का इमान चीख-चीख गवाही दे रहा है कि वह ज़ालिम की किसी तोप, बंदूक या बम से नहीं डरता।
हमें पता है “कुल्लू नफ़सीन ज़ायकतुल मौत” यानी हर ज़िंदा शख़्स को मौत का स्वाद चखना है। और मौत भी ऐसी जो हक़ और इंसाफ के लिए हो। इमान के लिए हो। एक मोमिन के लिए इससे शानदार क्या हो सकता है कि उसका खात्मा इमान की हालत में हो।