यूपी की सियासी महाभारत में दिव्य दृष्टि वाले संजय का प्रवेश

नवेद शिकोह

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

उत्तर प्रदेश में मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी को नुकसान पंहुचाने के लिए भाजपा ने यहां कांग्रेस को तवज्जो देकर अपनी राजनीति परिपक्वता पेश की। यहां तक तो ठीक है लेकिन आप के सांसद संजय सिंह पर कई एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें यूपी में तवज्जो मिलना भाजपा के लिए घातक है। यूपी में आप की उपस्थिति से भाजपा विरोधी जनाधार बिखरेगा नहीं बल्कि आप भाजपा का जनाधार कुतर सकता है। यही नहीं भविष्य में भाजपा का विकल्प बनकर भी पेश हो सकता है। गुंडाराज- भ्रष्टाचार के खिलाफ और राष्ट्रवाद व सुशासन का एजेंडा भाजपा का भी है और आप का भी। इसलिए यदि भाजपा सरकार से अपेक्षाएं पूरी नहीं हुईं तो हो सकता है कि यूपी का शहरी भाजपाई वोटर आप को अपना विकल्प चुन ले।

उत्तर प्रदेश में आप के वजूद के अंकुर भी फूट गये तो भविष्य में ये भाजपा के लिए घातक साबित होगा। लगभग शून्य पर पड़ी यूपी कांग्रेस को भाजपा अपनी राजनीतिक चाल के तहत गति दे रही है। क्योंकि कांग्रेस यहां पांच-सात प्रतिशत भी वोट बढ़ा लेती है तो इससे भाजपा का लाभ और सपा का नुकसान हो सकता है। कारण ये है कि सपा और कांग्रेस के वोट बैंक में एकरूपता है। इस गणित से यूपी के आगामी विधानसा चुनाव में सरकार से असंतुष्ट और मुस्लिम वोट हिस्सों में बंट गये तो भाजपा का रास्ता आसान हो सकता है।

प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय लल्लू को नजरअंदाज करने के बजाय इनके हर सियासी एक्शन को भाजपा ने रिएक्ट किया। जिसकी चर्चा से कांग्रेस ने भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी सपा की स्पेस को घेरा। यूपी में सांसद संजय सिंह की आहट भी महसूस होना आप की उपलब्धि है। जिस दल का यहां फिलहाल कोई अस्तित्व ना हो उसका सांसद यदि सुर्खियां बनता है तो मान लीजिए कि यहां आप के जनाधार की आहट साफ सुनाई दे रही है। और यदि आप के उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह इसी तरह संघर्ष करके इस सूबे में पांच- सात प्रतिशत वोट का बंदोबस्त कर लेते हैं तो ये भाजपा के शहरी जनाधार के लिए अतिक्रमण साबित हो सकता है।

भाजपा के नाराज़ शहरी में सेंधमारी

महाभारत के संजय की तरह दिव्य दृष्टि के गुण साबित करते हुए सांसद संजय सिंह ने भाजपा के नाराज शहरी मतदाताओं और सवर्ण को रिझाने का प्रयास जारी रखा है। सपा, बसपा की निष्क्रियता का लाभ उठाते हुए आप सांसद ने उनके खाली स्पेस पर अतिक्रमण कर सरकार के खिलाफ भष्टाचार के मुद्दे भी उठाने शुरू कर दिए। बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी कोरोना काल में स्वास्थ्य संबंधित लापरवाहियों, भ्रष्टाचार, मंहगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दो़ की सच्चाइयों के खुलासों की सिरीज चलायेगी।

साथ ही ब्राह्मणों के अतिरिक्त व्यापारिक समस्याओं से परेशान कायस्थों का विश्वास जीतना भी आप का लक्ष्य होगा। कांग्रेस की सक्रियता के बाद यूपी में घुसपैठ कर रही आम आदमी पार्टी की चर्चा से घबराकर सूबे के सबसे बड़े दल सपा ने भी जमीनी संघर्ष की अपनी पुरानी रवायत पर अमल करना शुरू कर दिया है।

चुनाव के डेढ़ वर्ष पहले ही सियासी सूत-कपास के जोड़-घटाव को लेकर दलों के जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा होने लगा है। इस सूबें में दो राष्ट्रीय और दो क्षेत्रीय दलों का अपने-अपने वक्त में वर्चस्व रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले ये चारों चुनावी रण में उतरने के लिए अपने तीर तरकश में सजा ही रहे थे कि पांचवे ने प्रवेश की आहट महसूस करवा दी। यूपी के रण में पांचवे दल की आहट देने वाले आप के यूपी प्रभारी और सांसद संजय सिंह महाभारत के संजय की तरह दिव्य दृष्टि की योग्यता पर काम कर रहे हैं। व्यापारी, कायस्थ, सवर्ण और शहरी मतदाताओं को भाजपा सरकार से बहुत उम्मीदें रही हैं। मिडिल क्लास, कानून व्यवस्था, रोजगार और व्यापारियों की समस्या का समाधान नहीं निकला तो यूपी का शहरी मतदाता ऐसा विकल्प तलाश करेगा जो राष्ट्रवाद से ओतप्रोत और तुष्टिकरण से दूर हो।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है)