अयोध्या में दंगा भड़काने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार 1) महेश कुमार मिश्रा 2) प्रत्युष श्रीवास्तव 3) नितिन कुमार 4) दीपक कुमार गौड़ उर्फ गुंजन 5) बृजेश पांडेय 6) शत्रुघ्न प्रजापति और 7) विमल पांडे के खिलाफ देशद्रोह की धाराएं क्यों नहीं लगाई गई, बुलडोजर क्यों नहीं चला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए वसूली क्यों नहीं शुरू हुई?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 11 युवकों ने धर्म नगरी को सांप्रदायिक दंगे से दूषित करने की मंशा से एक षड्यंत्र रचा। लगभग आधा दर्जन से अधिक अभियुक्तों ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर मोटरसाइकिल की नंबर प्लेट पर स्टीकर चिपकाया जिससे उनकी गाड़ी की पहचान न हो सके। सभी आरोपियों ने अपने सर पर मुस्लिम टोपी रखकर 26 अप्रैल की मध्य रात्रि इस घटना को अंजाम दिया। अयोध्या पुलिस ने घटना में शामिल सात अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है लेकिन अभी भी चार अभियुक्त फरार चल रहे हैं, जिनकी तलाश में पुलिस की टीमें लगाई गई हैं।
इस घटना को अंजाम देने वाला मुख्य अभियुक्त महेश कुमार मिश्रा पहले भी धार्मिक कट्टरता के लिये पुलिस की निगाहों में था। फेसबुक लाइव पर आकर विशेष धर्म के प्रति आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करना तथा विवादित विषयों पर बढ़-चढ़कर बयान देने का आदी है। मुझे लगता है कि महेश मिश्रा (अगर ) पुलिस की निगाह में था तो पुलिस का कर्तव्य था कि वह उसे समझाती और अपराध करने से पहले रोकती। लेकिन पुलिस ने अपराध (या दंगा) होने का जोखिम लिया और कपड़ों के आधार पर आग लगाने वालों को पहचाने की स्थितियां बनाईं। अब चार अपराधी पकड़ नहीं पाई है।
पूरे मामले में जो खास बात है वह यही कि जो पकड़े गए हैं उनपर मौजूदा व्यवस्था के तहत की जाने वाली प्रचारित कार्रवाई नहीं हुई है – जबकि उन्हें अपराध करने से पहले रोककर बचाया जा सकता था या सख्त कार्रवाई (जो दूसरे मामलों में की जाती रही है) करके डराया जा सकता था। दोनों नहीं होने देने को आप कैसे देखते हैं – समझिये, समझाइये। अपने बच्चों को अपराधी होने से रोकिये।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)