लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर राजधानी लखनऊ तथा प्रदेश के उपचुनाव वाले जनपदों को छोड़कर अन्य समस्त जनपदों में आज समाजवादी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपा। ज्ञापन में प्रदेश में अनियंत्रित अपराध स्थिति का विवरण देते हुए कहा गया है कि हर दिन मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं हो रही है। सरकार हर मोर्चे पर विफल है। लोकतंत्र की हत्या हो रही है। प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति है। विकास अवरूद्ध है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। राज्यपाल जी से आशा की गई है कि वे अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करेंगी।
महामहिम राज्यपाल महोदया को सम्बोधित ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति अत्यंत गम्भीर है। हत्या, लूट, अपहरण, बलात्कार की घटनाएं रोज ही घट रही है और प्रदेश की भाजपा सरकार इस पर नियंत्रण पाने में पूर्णतया विफल है। प्रदेश में बेलगाम अपराध और बेखौफ अपराधी सत्ता संरक्षण में पल रहे हैं। जनता अपने को असुरक्षित मान रही है। चारों तरफ भय और आतंक का माहौल है।
भाजपा राज में सर्वाधिक असुरक्षित महिलाएं एवं बच्चियां है। महिलाओं के साथ 2017 में 56011, वर्ष 2018 में 59445, वर्ष 2019 में 59853 अपराध हुए हैं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार पूरे भारत में अपराधों के सापेक्ष 14.3 प्रतिशत अपराध संख्या उत्तर प्रदेश में होने से उसे अपराधों के मामले में प्रथम स्थान प्राप्त होता है।
ध्वस्त कानून व्यवस्था का आलम तो यह है कि बलिया में 15 अक्टूबर 2020 को दिनदहाड़े राशन दूकान के आवंटन की पंचायत में हुए विवाद में भाजपा नेता ने एक युवक को गोली मार दी। इस समय एसडीएम और सीओ भी मौजूद थे। पुलिस की पकड़ में आने के बाद भी आरोपी को भाग जाने दिया गया। बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं से सभी लोग विचलित हैं। प्रदेश में किसी भी अपराधी को अपराध करने में जरा भी संकोच या शर्म नहीं होती है क्योंकि उसे सत्ता का संरक्षण मिलने का भरोसा होता है।
सपा ने कहा कि कैसी विडम्बना है कि भाजपा सरकार दलितों, वंचितों और समाज के कमजोर वर्गों के हितों की पूर्णतया अनदेखी कर रही है। हाथरस में दलित बेटी के साथ दुष्कर्म और उसकी नृशंस हत्या के बाद आधी रात को पुलिस ने उसका शव जला दिया। पुलिस-प्रशासन का यह रवैया भी अत्यंत शर्मनाक रहा है। कई किशोरियों ने रेप की घटनाओं के बाद ग्लानि में आत्मदाह कर जान दे दी।
न केवल हाथरस अपितु बलरामपुर, आजमगढ़, बुलन्दशहर, भदोही, लखनऊ, बाराबंकी, बागपत, मेरठ, फतेहपुर, अलीगढ़, उन्नाव, लखीमपुर खीरी, मथुरा, महाराजगंज, प्रयागराज और पीलीभीत में भी हैवानियत की घटनाओं से प्रदेश की बदनामी हुई है। पुलिस की लीपापोती और अपराधियों को सत्ता द्वारा संरक्षण से कानून मानने वाले नागरिक विचलित हैं।
भाजपा सरकार के कार्यव्यवहार से प्रदेश में हर तरफ आक्रोश है। नागरिक अपने जानमाल की सुरक्षा के लिए हर क्षण चिंतित रहते हैं। महिलाओं की जिंदगी असुरक्षित है। विपक्ष पर सरकार हमलावर है। जनधन की सुरक्षा जैसी कोई चीज नज़र नहीं आती है। हर दिन मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं हो रही है। प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है।
निश्चित रूप से प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति है। सत्तारूढ़ सरकार ध्वस्त कानून व्यवस्था को सम्हालने में पूरी तरह विफल है। प्रदेश में विकास अवरूद्ध है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। इन स्थितियों में गम्भीर प्रश्न है कि जनधन की सुरक्षा मिलेगी या नहीं? जनता की सुरक्षा का क्या होगा? प्रदेश में संवैधानिक मर्यादा का पालन होगा या नही?