सलीम इंजीनियर बोले, ‘मुस्लिम इबादतगाहों को निशाना बनाया जा रहा है, मीडिया भी इस अभियान में शामिल

नई दिल्लीः जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने हिंदुत्तवावादी संगठनों द्वारा मुस्लिम इबादतगाहों को निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की है। दिल्ली स्थित जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द देश में मुस्लिम इबादतगाहों को निशाना बनाने संबंधित हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त करती है।

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उन्होंने कहा कि रामनवमी के अवसर पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जानबूझकर अनेकों जुलूस निकाले गए और मस्जिदों की मीनारों पर भगवा ध्वज फहराने के प्रयास किये गए। यह सब दिन के उजाले में हुआ और पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने इसकी अनदेखी की। महाराष्ट्र में, एक राजनीतिक दल ने खुले तौर पर प्रशासन को चुनौती दी कि वे एक अभियान चलाएंगे, और अपने कार्यकर्ताओं को मस्जिदों के सामने तबतक “हनुमान चालीसा” जारी रखने के लिए कहेंगे, जब तक कि वे अपने लाउडस्पीकर हटा नहीं लेते।

इंजीनियर सलीम ने कहा कि कि भारत के बड़े शहरों के कई प्रमुख मस्जिदों को धमकी दी जा रही है और निशाना बनाया जा रहा है कि उन्हें हिंदू मंदिरों में बदल दिया जाएगा।  कहा जाता है कि वे मंदिर थे जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया और उन पर मस्जिदों का निर्माण किया गया।  मीडिया का एक वर्ग भी इस तरह के अभियानों का समर्थन करके शांतिपूर्ण माहौल को खराब कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द की मांग है कि भारत के गृह मंत्री को तत्काल एक बयान देना चाहिए कि सरकार पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है जिसमें कहा गया है कि मस्जिद, मंदिर, चर्च या सार्वजनिक पूजा स्थल जैसा 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था, उसी धार्मिक चरित्र के साथ रहेगा, चाहे उसका इतिहास कुछ भी हो, और इसे अदालतों या सरकार द्वारा बदला नहीं जा सकता। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो कोई भी कानून को अपने हाथ में लेने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा।

मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर क्या बोले

इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द मध्य प्रदेश के मनासा शहर में भंवरलाल जैन नाम के एक बुजुर्ग को मुस्लिम होने के शक में पीट-पीट कर मार डालने की निंदा करता है। गरीब आदमी दूसरे समुदाय का था और कथित तौर पर लिंचिंग के दौरान उसके हत्यारों ने बार-बार उसे कबूल करने की कोशिश की कि उसका नाम मुहम्मद है। जमाअत इस्लामी हिन्द “मॉब लिंचिंग के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान” के बैनर तले नागरिक समाज की पहल का समर्थन करता है, जिसने क़ानून लाने के लिए “मानव सुरक्षा कानून (मसुका)” नामक एक मसौदा प्रस्तावित किया है।

उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कानून ‘भीड़’ और ‘लिंचिंग’ की कानूनी परिभाषा पेश करता है। यह मांग करता है कि लिंचिंग को गैर-जमानती अपराध के दायरे में लाया जाना चाहिए। संबंधित एसएचओ (पुलिस अधिकारी) को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए और समयबद्ध न्यायिक जांच की जानी चाहिए। मॉब लिंचिंग के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा भुगतनी होगी। पीड़ित परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए। यह आशा की जाती है कि मासुका के अधिनियमन के बनने के बाद  मॉब लिंचिंग जैसे जघन्य घृणा अपराधों पर लगाम लग जाएगा।