शाहिद नकवी
ये देश के क्रिकेट के लिए गर्व और गौरव की बात है कि हमारे यहां क्रिकेट में मुख्य टीम के अलावा भी ऐसे खिलाड़ियों की भरमार है जिनमें प्रतिभा कूट कूट कर भरी है। आज ऐसी प्रतिभाएं बड़े शहर, बड़ी एकाडमी या कोच के बड़े नाम की भी मोहताज नहीं है। एक समय था जब देश में क्रिकेट मुम्बई, दिल्ली या बंगलौर जैसे शहरों तक ही सीमित था। लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की नई नीतियों से युवा खिलाड़ियों को बड़ा फायदा हुआ है। फिर राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने घरेलू क्रिकेट स्पर्धा में, खासकर जूनियर क्रिकेट में प्रतिभागियों की तलाश अभियान चला कर देश की बेंच स्टेंथ को मजबूत कर दिया है।
आज पूरी दुनियां में जितनी मजबूत और प्रतिभाशाली बेंच स्ट्रेंथ भारत की है, उतनी किसी दूसरे देश की नहीं है। यहां तक की आस्ट्रेलिया भी भारत से बहुत पीछे है। ऐसी ही एक नई प्रतिभा बिहार की रणजी ट्रॉफी टीम से आयी है, साकिबुल गनी के रूप में। जो मोतीहारी जैसी छोटी जगह में रहते हैं। जहां क्रिकेट का बुनियादी ढांचा भी ठीक नहीं है। गनी अपने पहले रणजी ट्रॉफी मैच में ही विश्व रिकॉर्ड बनाने में कामयाब हो गए।
साकिबुल गनी ने पहले ही फर्स्ट क्लास मैच में ट्रिपल सेंचुरी ठोक दी है। वो ऐसा करने वाले भारत के ही नहीं दुनिया के पहले बल्लेबाज बने हैं। इसी के साथ वो रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करते हुए सबसे बड़ा स्कोर बनाने वाले बल्लेबाज भी बन गए। साकिबुल गनी ने मिजोरम के खिलाफ कोलकाता में खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी के मुकाबले में अपनी ट्रिपल सेंचुरी 387 गेंदों पर 50 चौके जमाते हुए पूरी की। उन्होंने कुल 341 रन बनाए जिसमें 56 चौके और दो छक्के जड़े।
साकिबुल गनी से पहले फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू पर सबसे बड़ा स्कोर बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड मध्यप्रदेश के बल्लेबाज अजय रोहेरा के नाम था। उन्होंने 2018-19 के रणजी सीजन में हैदराबाद के खिलाफ खेले मुकाबले में ये कमाल किया था। अजय रोहेरा ने तब 267 रन बनाए थे। बिहार के इस खिलाड़ी ने वो धमाका किया है, जो आज तक किसी ने नहीं किया। उसने इतिहास रचा है।वो करिश्मा कर दिखाया है।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट मुकाबले में तिहरे शतक पहले कई लगे लेकिन डेब्यू पर तिहरा शतक जड़ने वाले बिहार के साकिबुल गनी पहले बल्लेबाज हैं। उन्होंने अपनी विश्व रिकॉर्ड पारी के दौरान बाबुल कुमार के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 756 गेंदों पर 538 रन की साझेदारी भी की। वैसे प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सर्वोच्च साझेदारी का कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने के नाम है। श्रीलंका इन दोनों दिग्गजों ने साल 2006 में श्रील दक्षिण अफ्रीका के लिए 624 रनों की साझेदारी की थी। रणजी ट्रॉफी में सबसे बड़ी साझेदारी का रिकॉर्ड महाराष्ट्र के स्वप्निल गुगले और अंकित बावने के नाम है। इन दोनों ने 2016/17 में 594 रनों की नाबाद साझेदारी की थी।
गनी जिस इलाके में बड़े हुए वहां क्रिकेट के लिए कोई बड़ा बुनियादी ढांचा नहीं है। वह जहां तक पहुंचे इसके पीछे उनकी मेहनत और परिवार का समर्थन है। साकिबुल गनी के बड़े भाई 27 वर्षीय फैसला गनी भी एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। वह भी देश में चमकते लेकिन तब बिहार की टीम की टीम की रणजी ट्रॉफी में मान्यता रद्द कर दी गई थी। फैसला भी अंडर-19 क्रिकेट खेले हैं। उन्होंने कूच-बिहार ट्रॉफी में बिहार का प्रतिनिधित्व किया है। इसके अलावा वह विज्जी ट्रॉफी में भी खेले हैं। फैसल और साकिबुल के पिता खेल के सामानों की दुकान चलाते हैं।
दरअसल, भारत के लिए प्रथम श्रेणी में 200 या उससे ज्यादा रन बनाने वाले साकिबुल गनी 10वें बल्लेबाज बने हैं। उनसे पहले नौ खिलाड़ियों ने 200 या उससे ज्यादा रन तो बनाए थे, लेकिन किसी ने तिहरा शतक नहीं जड़ा था। हैरानी की बात है कि पहले के नौ खिलाड़ियों में सिर्फ एक को ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका मिल सका। ऐसा करने वाले इकलौते खिलाड़ी गुंडप्पा विश्वनाथ थे। उन्होंने 1969 में भारत के लिए पहला मैच खेला था।
उनके अलावा मणिपुर के मयंक राघव, पंजाब के जीवनजोत सिंह, मध्य प्रदेश के अंशुमन पांडे, पंजाब के अभिषेक गुप्ता, मध्य प्रदेश के अजय रोहेरा, चंडीगढ़ के अर्सलान खान, मुंबई के अमोल मजूमदार और गुजरात के मनप्रीत जुनेजा ने डेब्यू मैच में 200 रन से अधिक बनाए, लेकिन भारत के लिए नहीं खेल सके। इस लिए गनी की असल परीक्षा आने वाले समय में होनी है, आगे बढ़ने के लिए ऐसा ही प्रदर्शन लगातार करना होगा।इस समय देश की हर फार्मेट की टीम में शामिल होने के लिए बहुत प्रतिस्पर्धा है, लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की भरमार है। अंडर 19 विश्वकप के बाद कई अन्य युवा खिलाड़ियों ने इस सत्र से रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया है। यश धुल जैसे खिलाड़ियों ने भी धमाकेदार शुरुआत की है। उनको बड़ी टीमों के खिलाफ भी बढ़िया खेलना होगा।