रवीश का सवाल: क्या ED के निदेशक भी बीजेपी से सपा में जा सकते हैं?

हंसने से पहले पढ़ तो लीजिए। ED के संयुक्त निदेशक ने अपनी IPS की नौकरी छोड़ दी। विधायक बनने के लिए बीजेपी चले गए। जब संयुक्त निदेशक जा सकते हैं तो निदेशक क्यों नहीं जा सकते हैं? उन्हें कितना बुरा लग रहा होगा कि MLA बनने के लिए पद से इस्तीफ़ा देकर संयुक्त निदेशक ने ED का मार्केट ख़राब कर दिया? इसका मतलब यह नहीं विधायक का भाव नहीं होता है। खूब होता है पर दिल्ली के इशारे पर दिल्ली से देश चलाने वाले सांसद का ख़्वाब देखते होंगे। विरोधी दल के विधायकों के यहाँ छापे मारते मारते अब ED के अफ़सरों को बीजेपी विधायक का टिकट देगी तो इसका मतलब है कि बीजेपी हमेशा अनुभव का सम्मान करती है। ED का कुछ तो ईगो होगा इसलिए लगता नहीं कि ED के अफसर सपा में जाएंगे क्योंकि विरोध दल ने ED को बीजेपी की कठपुतली होने के आरोप लगाए हैं।

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एक तर्क से ED वाले जा सकते हैं। SP में जाएंगो तो कम से कम SP तो कहलाएँगे। वही बनने के लिए तो हर कोई IPS बनता है। बाक़ी देश की सेवा क्या हो रही है यह किसको पता नहीं है। ED के अफ़सरों के परिवार वाले भी क्या सोचते होंगे, कि डैडी ने देश के सिस्टम को ऐसा तबाह किया और मिला विधायक का टिकट? मेरी राय में ED के अफ़सरों को सेवा के बदले सांसद का टिकट मिलना चाहिए।

मोदी राज में ED ने विपक्ष के विधायकों में दहशत फैलाने में काफ़ी सफलता हासिल की है। यह काम पहले CBI करती थी लेकिन उसकी साख तोते की हो गई थी। CBI की जगह ED का खूब इस्तमाल हुआ। ऐसी ऐसी धाराएं हैं कि भाई लोग पोस्ट लिखने के आरोप में मुझे भी फंसा दें। ED के संयुक्त निदेशक ने जब पद छोड़ा और भाजपा में शामिल हुए तो इनके द्वारा हैंडल किए जा रहे तमाम केस की समीक्षा होनी चाहिए थी। इन बातों पर बहस होनी चाहिए थी कि पद पर रहते हुए कहीं विधायक बनने के जुगाड़ में तो नहीं थे?

मैं हैरान हूँ कि ED जैसी संस्था के रहते हुए भी बीजेपी से विधायक और मंत्री सपा में जा रहे हैं। मोदी जी को ED के संयुक्त निदेशक को वापस बीजेपी से ED में बुला लेना चाहिए। या फिर किसी विधायक ED का निदेशक बना देना चाहिए। जल्द ही छापे शुरू हो जाने चाहिए ताकि दस बाहर अफसरों के किसी के घर में घुसते और निकलते हुए का वीडियो फुटेज मिलता रहे और गोदी मीडिया में चलता रहे। बाकी इसका चुनावी नतीजे पर क्या असर पड़ेगा, इसे लेकर उछल कूद न करें। हर चुनाव का एक ही सबक है। नतीजे का इंतज़ार कीजिए।

(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है)