माननीय प्रधानमंत्री जी,
मैं टूलकिट से परेशान हूं। बेरोज़गार अपने आंदोलन को ध्यान में लाने के लिए जो टूलकिट बनाते हैं उसमें मेरा फोन नंबर डाल देते हैं।अपनी बर्बादी का लंबा चौड़ा ब्यौरा भी डाल देते हैं। एक ऐसे देश में जहां पत्रकारिता समाप्त हो चुकी है वहां एक पत्रकार पर इतना बोझ डालना उचित नहीं है। मैंने भारत के युवाओं से कहा भी है कि आपकी न तो जवानी रही और न कोई कहानी रही। फिर भी मुझे हज़ारों मैसेज भेजते हैं। यह जानते हुए भी कि उनकी बेरोज़गारी का कारण रवीश कुमार नहीं है। मैं आपके मंत्रिमंडल में रोज़गार मंत्री भी नहीं हूं। आपकी पार्टी के आई टी सेल का चीफ भी नहीं हूं। इन युवाओं के बार-बार लिखने से भारत की छवि ख़राब हो रही है। दुनिया हंस रही है कि भारत में मंदिर निर्माण के लिए चंदा वसूलने का काम रहते हुए भी युवा नौकरी मांग रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि भारत की बदनामी हो।
यह पत्र इसलिए नहीं लिख रहा कि आप बेरोज़गारों को नौकरी दे दें। आप ऐसा नहीं भी करेंगे तब भी युवाओं का वोट आपको ही जाएगा। आपको यकीन न हो तो धरना प्रदर्शन करने वाले युवाओं के बीच सर्वे करा लीजिए। मैं जानता हूं कि रोज़गार मुद्दा नहीं रहा। राजनीति में धर्म का सबसे बड़ा योगदान तो यही है कि वह राजनीति को ही ख़त्म कर देता है। धर्म का आधार न्याय होता है। लेकिन राजनीति में धर्म का काम अन्याय करना और उस पर पर्दे डालना होता है। इन युवाओं को अगर रोज़गार से भी बढ़ कर कुछ चाहिए तो धर्म का गौरव चाहिए। धर्म की पहचान चाहिए। बंगाल में आप जय श्री राम के नारे लगाने को मुद्दा बना रहे हैं। यूपी बिहार में यह काम तो उससे भी आसान है। आप यूपी बिहार के युवाओं को मंदिर निर्माण के चंदे की रसीद पकड़ा दें। जहां जहां वे धरना दे रहे हैं वहां वहां जाकर चंदे की रसीद दे दें। आप देखिए कितनी खुशी से सारे युवा इस काम में लग जाएंगे। उनका पूरा परिवार इस काम में लग जाएगा। जब इतने से भारत में बेरोज़गारी की समस्या ख़त्म हो सकती है तो फिर इसे करने में देरी क्यों हो रही है। युवा गली गली में गर्व से घूमने लगेंगे। चंदा न देने वालों को सबक भी सिखा देंगे। आख़िर राष्ट्रनिर्माण के कर्तव्यों से इन युवाओं को क्यों वंचित रखा जा रहा है। युवा को परीक्षा की तारीख नहीं चाहिए। चंदे की राशि का लक्ष्य चाहिए। आप दे दीजिए।
प्रो-अकबर पत्र के बाद मेरा यह दूसरा प्रो-मोदी पत्र है। गोदी मीडिया के बड़े-बड़े एंकरों को इस तरह का आइडिया नहीं आएगा। उन्हें सिर्फ झाल बजाना आता है। बस इन बेरोज़गारों से कहिए कि मुझे परेशान करने के लिए टूलकिट न बनाएं। इन बेरोज़गारों ने न तो दिशा रवि का नाम सुना है और न ही उसके साथ जो हुआ उसे ग़लत बोलने की हिम्मत भी है। कई बार ये मुझे ग़लत साबित कर देते हैं लकिन यह पलड़ा आपके पक्ष में भारी है। वे हमेशा आपको सही साबित कर देते हैं। ऐसे युवाओं को आप चंदा वसूलने की रसीद नहीं देंगे तो कौन देगा।
मुझसे हर दिन हज़ारों मैसेज डिलिट नहीं होते हैं। थक गया हूं। आपने देखा ही होगा कि बाल उड़ गए हैं। दुबला हो गया हूँ। इतना योगा किया। सातों दिन काम किया। कभी सोया भी नहीं तब भी मेरा यह हाल हो गया है। आप प्लीज़ इन युवाओं को संभालिए।
रवीश कुमार
दुनिया का पहला ज़ीरो टीआरपी एंकर
नोट- हे भारत के पराक्रमी युवाओं, आप रोज़गार को लेकर धरना प्रदर्शन न करें। क्या हुआ अगर नौकरी नहीं मिली। आपको शिकायत इस बात से होनी चाहिए कि आपको अभी तक चंदा वसूलने के पुण्य कार्य में क्यों नहीं लगाया गया है। मुझे मैसेज न करें। आपकी जवानी और कहानी दोनों ख़त्म की जा चुकी है।
(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)