हर किसी के दिमाग़ में भूसा भरा है तब भी भूसे का संकट है। दूध का दाम बढ़ गया है। खुला दूध अस्सी रुपये लीटर बिकने लगा है। उम्मीद है, गायों के लिए चारे की कमी नहीं होगी। भैंसों को भी प्यार मिलता रहेगा।
कश्मीर कब भावनाओं में आग लगा दे, कब उसमें सीलन आ जाए कि माचिस की सारी तीलियाँ ख़त्म हो जाएँ, इसे कौन जान सका है।कश्मीरी फ़ाइल्स पर इतना कुछ उबल गया कि कश्मीर में होने वाली हत्याओं पर कुछ भी नहीं धधकता।आतंकवादी घाटी में हिन्दू और मुसलमान दोनों को निशाना बना रहे हैं। कश्मीरी पंडित मारे जा रहे हैं तो कश्मीरी मुसलमान भी मारे जा रहे हैं। कश्मीरी पंडितों ने कहा है कि अगर उनका तबादला जम्मू नहीं हुआ तो घाटी से पलायन करेंगे। उनके भीतर डर और असुरक्षा बैठ गया है। वहाँ के मुसलमानों के भीतर भी यही डर बैठता होगा जब आतंकी उनके बच्चों को निशाना बनाते हैं।
आप नहीं कह सकते कि मुसलमान मारे जाते हैं तब नहीं कहते कि घाटी से पलायन करेंगे और आप इसके लिए किसी कश्मीरी पंडित का मज़ाक़ नहीं उड़ा सकते जो घाटी से पलायन की चेतावनी दे रहा है। हत्या के माहौल में आप यूपी बिहार में बैठ कर उनके लिए शर्तें तय नहीं सकते। हालात नाज़ुक हैं। घाटी में जब एक साल तक इंटरनेट बंद था। तालाबंदी से पहले भी तालाबंदी लगी थी उसमें चार हज़ार कश्मीरी पंडित भी बंद थे। बाक़ी आप यूपी बिहार वालों से ज़्यादा कश्मीर के बारे में कौन जानता है। इतना तो कश्मीर के लोग भी नहीं जानते।
प्रिया गोल्ड बिस्कुट और दैनिक जागरण
दैनिक जागरण और अमर उजाला के प्रथम पृष्ठ पर प्रिया गोल्ड के संस्थापक बल्लभ प्रसाद अग्रवाल जी की प्रथम पुण्यतिथि की सूचना छपी है। मुझे सूट बूट वाले उद्योगपतियों के बीच पुराने स्टाइल के उद्योगपति भी अच्छे लगते हैं। ऐसे लोगों के पास सिस्टम और समाज का विशाल अनुभव होता होगा। सच-झूठ, काला-सफ़ेद सबका अनुभव। इन सबसे जूझते हुए बड़े बड़े ब्रांडों के बीच अपने किसी उत्पाद को ब्रांड के रूप में स्थापित कर देना साधारण बात नहीं।
ब्रिटानिया ब्रांड के बीच प्रिया गोल्ड ने जगह तो बनाई ही है। एक उत्पाद के ब्रांड बनने की कहानी के लेखक बल्लभ प्रसाद अग्रवाल जी को श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और उनके उत्पाद को ग्लोबल ब्रांड का मकाम दिलाएँ।