कोरोना की पहली तालाबंदी ने भारतीय को बेरोज़गारी और कम कमाई के अवसरों की तरफ़ धकेला तो उसी के साथ बड़ी संख्या में भारतीय शेयर बाज़ार की तरफ़ भी बढ़े। बैंकों में बचत पर निगेविट रिटर्न के सामने शेयर बाज़ार जब उछाल मारने लगा और 20 प्रतिशत से लेकर कुछ भी प्रतिशत तक रिटर्न के आँकड़े छपने और दिखने लगे तब उसे लगा कि शेयरबाज़ार ही कमाई का एकमात्र ज़रिया है। वह पुराने मार्ग को छोड़ कर नए मार्ग की तरफ़ चल पड़ा।मई 2020 से लेकर अभी तक चार करोड़ से अधिक डी-मैट खाते खुल गए हैं। इनमें एक ही व्यक्ति के कितने डि-मैट खाते हैं, इसका पता नहीं। यूनिक नंबर से पता चलता कि कितने करोड़ लोग शेयर बाज़ार में आए हैं।
इसी दौरान जो भी IPO आए हैं, उनमें निवेशकों के पैसे डूब गए। अब इन IPO में पैसा लगाने वाले कितने ऐसे लोग थे जिन्होंने मई 2020 के बाद डी-मैट खाता खोला है, इसकी जानकारी होनी चाहिए। जब नए IPO में पैसा डूब गया तब जाकर कहा जाने लगा कि एक तो इन शेयरों के भाव ज़्यादा लगाए गए और दूसरा लोगों ने ज़्यादा उम्मीद लगा ली। पे टीम का उदाहरण दिया जाता है। क्या इन नए निवेशकों से पैसा झपटने के लिए यह सब हुआ, इसका जवाब आप नहीं जान सकते और न मुझे पता है। एक अख़बार में पढ़ने को मिला कि पिछले एक साल के दौरान म्युचुअल फंड की दुनिया में थीम के आधार पर कई फंड आए जिसमें लोगों ने पैसे लगाए और इनमें पैसा लगाने वाले ज़्यादातर नए निवेशक थे। बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, आई टी जैसे थीम म्युचुअल फंड की रिटर्न पिछले छह महीने में काफ़ी गिरी है।इसी तरह से अब कहा जा रहा है कि IT सेक्टर के शेयरों के दाम ढलान पर हैं क्योंकि उनके भाव कुछ ज़्यादा हो गए थे। यह भी पढ़ने को मिल रहा है कि पिछले दस साल में लार्ड कैंप फंड के शेयरों ने उनके बेंचमार्क से काफ़ी कम रिटर्न दिया है। यानी जितना बताया गया होगा उतना लोगों को नहीं मिला। घाटा हुआ,इसके बारे में नहीं कह सकते। अब यह भी कहा जा रहा है।
क्रिप्टो की खूब चर्चा हो रही है और लोग क्रिप्टो में पैसा भी लगा रहे हैं। क्रिप्टो इस शेयर बाज़ार और बैंकों को कैसे विस्थापित करेगा, इसकी अटकलें लगाई जा रही हैं।
कई युवाओं से मिलता हूँ जिन्होंने क्रिप्टो को अपना लिया है। जो भी हो, दुनिया उस दिशा में जाती दिख ही रही है। एक समय ऐसा आएगा जब डिजिटल दुनिया में आपकी हर लेन-देन का रिकार्ड हर किसी के पास होगा तब सरकार से लेकर ये कंपनियाँ आपके साथ क्या करेंगी, पता नहीं। हाल ही कनाडा में जब विरोध प्रदर्शन हुआ तब वहाँ की सरकार ने ट्रक ड्राईवरों के खाते फ्रिज कर दिए। क्या ऐसी और घटनाएँ हुई हैं या होने जा रही हैं, यह खुला प्रश्न है।
भारत की विकास दर कितनी रहेगी इसकी जितनी भी भविष्यवाणियाँ युद्ध से पहले हुई थीं, उनमें कटौती कर दी गई है केवल S&P ने अपनी भविष्यवाणी नहीं बदली है। उसने 7.8 प्रतिशत ही कहा था अब भी इसी पर क़ायम है।
IMF ने जनवरी में कहा था कि भारत की विकास दर 9 प्रतिशत रहेगी अब उसने इसे घटाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया है। विश्व बैंक ने 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है।
Fitch ने 10 प्रतिशत से घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है। युद्ध के कारण इनमें कमी की गई है। IMF ने यह भी कहा है कि ग्लोबल विकास दर काफ़ी कम रहेगा। महंगाई बढ़ेगी और इसके कारण ग़रीब लोग भूखमरी के कगार पर पहुँच जाएँगे और समाज में उपद्रव बढ़ेगा।अर्थव्यवस्था को लेकर ज़रा भी आशंका हो तब आप वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कोई भी बयान पढ़ लें।भारत की अर्थव्यवस्था आज नहीं तो कल आपको शानदार होती दिखेगी।
वैसे चीन की वजह से भारतीय स्टील उत्पादकों की चाँदी हो गई है। स्टील की माँग बढ़ गई है। बीते वित्त वर्ष में करों का संग्रह अनुमान से पाँच लाख करोड़ ज़्यादा हुआ है। गेहूं का निर्यात हो रहा है लेकिन किसानों का क्या भाव मिल रहा है और किस भाव पर निर्यात हो रहा है, इसके बारे में स्पष्ट सूचना नहीं है। पंजाब एंड सिंध बैंक ने रिपोर्ट किया है कि SREI की दो कंपनियों ने 1234 करोड़ का फ्राड किया है।
बिज़नेस समाचारों को समझने का प्रयास कीजिए, आपसे नहीं, ख़ुद से कह रहा हूँ। आप तो सब समझते ही हैं। मगर क्रिप्टो पर ध्यान देने का वक़्त आ गया है इस पर विचार कीजिए, कहीं ऐसा न हो कि बस छूट जाए। हिन्दी में पत्रकार प्रकाश के रे लिखते रहते हैं। इन सबको ठीक कर लीजिए फिर किसी शोभा यात्रा में तलवार लेकर चले जाइयेगा। रोका किसने है। जय हिन्द।