कश्मीर पर कश्मीर में कुछ करने की ज़रूरत है। जो भी करने की ज़रूरत है हिन्दी प्रदेश की जनता को बरगलाने की है। ख़ासकर यूपी और बिहार के नौजवानों में जुनून पैदा करने के लिए। आतंकवाद की समस्या को हिन्दू मुस्लिम रंग देकर त्यौरियाँ चढ़ाई गईं। धारा 370 को लेकर अनाप-शनाप तर्क गढ़े गए और सपने दिखाए गए। 5 अगस्त 2019 के बाद आज तक प्रधानमंत्री ही कश्मीर नहीं गए।
गोदी मीडिया ने मोदी सरकार की कामयाबी के रुप में पेश कर जनता को ठगा। लोग ठगे गए। यहाँ आप ठगे जा रहे थे वहाँ घाटी में लोगों पर ज़ुल्म हो रहे थे। यह क्या ज़ुल्म नहीं है कि पूरी आबादी को इंटरनेट से काट दिया गया। समाचारों के माध्यम कुचल दिए गए। लंबे समय तक वहाँ की जनता अंधेरे में रही और हिन्दी प्रदेश के लोगों को अंधेरे में रखा गया।
एक बार आप हिन्दी प्रदेश की जनता को बेवकूफ बना लीजिए तो हिन्दुस्तान पर राज करने का प्रोजेक्ट आराम से पूरा किया जा सकता है। यही कारण है कि आप अब कश्मीर को पहले से भी कम जानते हैं। वहाँ रहने वाले भी अब कश्मीर को नहीं जानते हैं। क्योंकि सूचनाओं का प्रवाह नियंत्रित है। उस अंधेरे का लाभ आतंकी उठा सकते हैं। उठा भी रहे हैं। उन्हें ख़त्म करने या कमज़ोर करने के तमाम दावे बोगस साबित हो रहे हैं। आतंक नोटबंदी और धारा 370 की समाप्ति से ख़त्म नहीं होता है। पड़ोस में ख़राब विदेश नीति का नतीजा है कि आज हम चारों तरफ़ से घिरे नज़र आते हैं। सरकार वाहवाही कराने में और झूठ के दम पर वोट लेने में व्यस्त है।
मोदी सरकार की झूठ की सज़ा अब जनता ही भुगतने लगी है। 114 रुपया लीटर पेट्रोल भरा रही है, हर दिन उसकी जेब ख़ाली हो रही है और वह बोल नहीं पा रही है। कोई पूछ नहीं रहा है कि केंद्र और कश्मीर में बीजेपी की सरकार है। फिर वहाँ से कश्मीरी पंडित और प्रवासी मज़दूर पलायन क्यों कर रहे हैं।
याद रखिएगा, मोदी सरकार का फैलाया हुए झूठ का जाल इतना बड़ा है कि आपकी जवानी बीत जाएगी, कभी नहीं निकल पाइयेगा। इतिहास पढ़िए। मज़बूत सरकार के नाम पर जनता ही कमज़ोर हुई है।
(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)