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रवीश का लेखः कभी कभी लगता है कि क़ानून बना देना चाहिए कि यूपी केवल धर्म और जाति की सुनेगा

यूपी के एक छात्र की पीड़ा – जिसे सुनने के लिए कोई नहीं है। कभी कभी लगता है कि क़ानून बना देना चाहिए कि यूपी केवल धर्म और जाति की सुनेगा। बाक़ी चीज़ों को नहीं सुनेगा। और जो होंगे तकलीफ़ में वो मुझे पत्र लिखा करेंगे। 6900 छात्रों के साथ ऐसा हो सकता है और यूपी धर्म में मस्त है। त हम भी यहाँ पोस्ट कर छुटकारा पा लेते हैं। आप सभी से निवेदन है कि आप मुझे पत्र न लिखें।

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मुझसे ये तकलीफ़ नहीं देखी जाती है और न मेरे पास इतने संसाधन हैं कि हर दिन किसी राज्य से किसी युवा की ऐसी तकलीफ़ पर ही प्राइम टाइम करता रहूँ। आपका करूँगा तो फिर कोई बोलेगा कांग्रेस वाले राज्य से नहीं कर रहे। अब जब रिपोर्टर और बजट ही नहीं होंगे तो कहाँ से राजस्थान तो झारखंड से करता रहूँगा। हम थक भी गए हैं। आप लोग अपनी जाति और धर्म के नेता से संपर्क करें। रोज़ सुबह उठ कर दूसरे धर्म से ख़ूब नफ़रत करें। सत्यानाश को गले लगाए लेकिन अब मुझे छोड़ दें।

आदरणीय रवीश कुमार जी, मैंने आपके बारे में बहुत कुछ सुना है। आप एक बहुत अच्छे पत्रकार है। उम्मीद है आप मेरी बात को जोर से उठाएंगे।मैंने 2018 में यूपी टीईटी की परीक्षा में 100 अंक हासिल की है।उसके बाद सहायक अध्यापक भर्ती 69000 शुरू हुई। इसका पेपर 6 जनवरी को हुआ जिसमें मैं शामिल हुआ था।परीक्षा ओएमआर शीट पर हुई थी।छोटी सी गलती हुई थी सीरीज मेरी वाला कॉलम (सीरीज D थी)  जिसका काला घेरा नहीं हो पाया, अगर इनविजीलेटर भी ध्यान देता। इनविजीलेटर ने भी बिना देखे साइन कर दिए। साइन करने से पहले अगर वो देख लेता  कि इसमें काला घेरा नहीं हुआ है तो वहां काला घेरा हो जाता और मेरा रिजल्ट आ जाता। मेरा रिजल्ट नहीं दिया गया। विज्ञापन में पेज नंबर 7 पर साफ-साफ लिखा हुआ है कि अभ्यर्थियों द्वारा कॉलम खाली छोड़े जाने की संभावना बनी रहती है।

कृपया इनविजीलेटर सिग्नेचर करने से पहले ध्यान से देख ले। सरकार से लेकर में कोर्ट तक के काफी चक्कर लगा चुका हूं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।आशा और उम्मीद की कोई किरण नहीं आ रही है। मुझसे कम अंक लाने वाले भी इसमें जो जॉब पा चुके हैं।अगर इनविजीलेटर है उसी समय मेरी ओएमआर शीट को देख लिया होता तो मैं काला घेरा कर देता ,आज मैं भी सहायक अध्यापक होता। अब बताइए मैं क्या करूं मेरी क्या गलती है इसमें? सरकार अगर जानबूझकर गलती करे तो कोई बात नहीं लेकिन अगर अभ्यर्थियों से कुछ भूल हो जाए तो उसको नौकरी नहीं देनी।

सरकार की गलतियों के कारण भर्ती 2 साल तक कोर्ट में चलती रही। उसके बाद अभी तक भी इसका निपटान नहीं हो पा रहा है। अभी भी कोर्ट में इसका मतलब बना हुआ है। मेरे आंसर की के अनुसार 100 से अधिक अंक आ रहे थे, लेकिन मेरे से कम अंक लाने वाले 90 नंबर वाले भी इस परीक्षा में सिलेक्ट हो गए और आज सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं और मैं अभी तक ठोकरें खा रहा हूं। कोर्ट से लेकर सरकार के तक काफी चक्कर लगाए, लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं मिला है। काफी मेहनत की बहुत तैयारी की।

परीक्षा के समय काफी मेहनत की दिन रात मेहनत किए 12-14 घंटे पढ़ाई की लेकिन क्या मिला कुछ नहीं? सिर्फ हताशा ही हाथ में आई है सरकार कहती है योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं। कम अंक वाले को आप नौकरी दे रहे हैं और अधिक अंक लाने वाले को आप नौकरी नहीं दे रहे हैं क्योंकि वह दलित वर्ग से आता है इसलिए, अब तो उम्र भी निकलती जा रही है। हताशा के अलावा और कुछ नहीं मिला। कब मिलेगा न्याय?

(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)