दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गुजरात के स्कूलों में गए हैं। उन ख़स्ताहाल स्कूलों की तस्वीर ट्विट किया है तो जवाब में बीजेपी के नेता दिल्ली के स्कूलों में गए। उन्होंने भी दिल्ली के स्कूलों की तस्वीरें ट्विट की है जिस पर मनीष ने लिखा है कि बीजेपी वाले बहुत मुश्किल से कुछ ढूँढ लाएँ हैं लेकिन सवाल है कि 27 साल के भाजपा शासन में गुजरात किस बात का मॉडल है कि उसके स्कूल दिखाने लायक़ भी नहीं हैं।
मनीष सिसोदिया से नौ साल पहले मैं गुजरात के सरकारी स्कूलों में गया था। इस रिपोर्ट का प्रधानमंत्री मोदी के दिल में असर हो गया होगा तभी प्रधानमंत्री बनने के बाद शिक्षक दिवस पर उन्होंने भव्य कार्यक्रम किया और उस दिन के भाषण में जिस पत्रकार और रिपोर्टिंग का उन्होंने ज़िक्र किया था वो मेरी रिपोर्ट से काफ़ी मिलता जुलता था। आप उस दिन का भाषण देख सकते हैं और फिर इस रिपोर्ट को।
मनीष सिसोदिया अगर ये रिपोर्ट देख लें और जाकर उन स्कूलों का हाल देखें जहां मैं गया था तो पता चलेगा कि नौ साल बाद स्कूल का क्या हुआ। हाँ अगर इसके जवाब में बीजेपी के नेता दिल्ली के स्कूलों का दौरा करें, अस्पतालों की पोल खोल लें तो कोई एतराज़ नहीं। इसी बहाने राजनीति धर्म से हट कर काम की होने लगेगी लेकिन होगी नहीं। धर्म पर ही आएगी।
मनीष सिसोदिया को यह रिपोर्ट देखनी चाहिए। गुजरात के अस्पताल स्कूलों में जाने का काम कांग्रेस भी कर सकती थी ताकि बीजेपी के नेता कांग्रेस के राज्यों के स्कूलों का हाल चेक करें और इस राजनीति से आम गरीब लोगों को कुछ तो लाभ हो। कम से कम एक अच्छा स्कूल ही मिल जाए।
बलिया के पत्रकारों ने किया कमाल
बलिया के पत्रकारों ने तो कमाल कर दिया है। अपने तीन साथियों की रिहाई के लिए हर दिन प्रदर्शन कर रहे हैं। अब तो ईश्वर से ही गुहार लगाई जा सकती है मगर वहाँ के पत्रकारों ने अपने साथियों की रिहाई के लिए शानदार एकजुटता दिखाई है। समाज में नक़ल के प्रति घृणा होती तो आज समाज भी इन पत्रकारों के साथ खड़ा रहता। अफ़सोस कि पत्रकार अपनी लड़ाई अकेले लड़ रहा है।