इस दौर में कुछ घटनाओं को देखने समझने और लिखने बोलने से पहले थोड़ा ठहर जाना चाहिए। ज़रूरी नहीं कि आप सभी मसलों पर लिखे और उसी वक्त लिखें। अगर कानपुर में ऐसा हुआ है तो ग़ज़ब हुआ है। पहले चेक करना चाहिए कि कहीं गुजरात में कोई गुटखा लॉबी तो नहीं है जिसके लिए कानपुर की गुटखा लॉबी की कमर तोड़ी गई। फिर हर तरह की गुटखा लॉबी के ख़त्म होने की दुआ करनी चाहिए। गुटखा कानपुर वालों का हो या गुजरात वालों का होता तो ख़तरनाक ही है।
The target was Pushpraj Jain, the Samajwadi Party MLC who manufactures perfumes. The person who ended up getting raided was Piyush Jain, also in the perfume business but close to BJP leaning Shikhar pan masala group. How did such a goof up happen?
— Rohini Singh (@rohini_sgh) December 29, 2021
पत्रकार रोहिणी सिंह का यह सवाल भी गंभीर हैं । पीयूष जैन के यहाँ छापा पड़ गया जबकि पड़ना था पुष्पराज जैन के यहाँ ! जो भी है 40 से अधिक बक्से में कैश निकला है वो भी तब जब नोटबंदी और जीएसटी के बाद कालाधन की समाप्ति का एलान कर दिया गया था। कोई इसका जवाब दें कि इस तादाद में काला धन पैदा करना कैसे संभव हो पा रहा है? इस पैसे का बाक़ी हिस्सा किस किस में बंटा है? इसकी जवाबदेही केंद्र सरकार पर है कि बताए कि जीएसटी के बाद इतना कैश कैसे पैदा हो रहा है?
पीयूष जैन को भी बताना चाहिए कि उनके इस पैसे से किस किस दल को सामाजिक और राजनीतिक लाभ हुआ है? ये भी अच्छी बात है कि पीयूष जैन के यहाँ से निकलें करोड़ों के कालाधन को जैन समाज ने इसे सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाया है। जैन समाज ने हमेशा से ईमानदार राजनीति को प्रश्रय दिया है। इस समाज के पैसे से कितने दल और नेताओं का खर्चा चला है हिसाब करना मुश्किल हो जाएगा। जैन समाज ने अपने धन से केवल स्कूल कॉलेज और मंदिर- धर्मशाला ही नहीं बनवाया है बल्कि राजनीति को भी पूँजी की ऊर्जा दी है। कानपुर में व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या के बाद जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नौकरी और मुआवज़े का एलान किया तो शहर में वैश्य समाज की तरफ़ से पोस्टर लगा था और मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया गया था। मुझे पूरी उम्मीद है कि पीयूष जैन के यहाँ से निकलें काले धन के प्रति धनिक जैन समाज मोदी जी को आभार देने वाला पोस्टर लगाएगा। जैन समाज को आगे आकर मोदी जी का आभार प्रकट करना चाहिए। पोस्टर प्रकट करना चाहिए।
यूपी में व्यापारियों को अलग से रिझाने के लिए ख़ूब सम्मेलन हो रहे हैं। वैश्य समाज भाजपा से टिकट माँग रहा है तो बीजेपी के सांसद श्यामाचरण गुप्ता पूछ रहे हैं कि व्यापारियों के यहाँ ही छापे क्यों पड़ते हैं, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को यहाँ क्यों नहीं पड़ते। अक्तूबर महीने में चित्रकूट में व्यापारियों का एक सम्मेलन हुआ था उसमें बीजेपी सांसद ने यह सवाल किया था। पीयूष जैन के यहाँ पड़े छापे से मोदी जी ने अपने सांसद को जवाब दे दिया है। अब व्यापारियों की बारी है कि वे जवाब दें। सवाल है कि उनके जिस पैसे से आज तक इस देश में जो राजनीति चली है वो कालाधन के खाते से था या ईमानदारी के खाते से था? क्योंकि जब मोदी जी को ईमानदार बनना होता है तब तो व्यापारी के यहाँ छापे पड़ जाते हैं तो व्यापारियों को भी बताना चाहिए। उन्हें भी ईमानदार बनने के लिए इसकी पोल खोल देनी चाहिए। एक सवाल और है। बीजेपी को सपोर्ट करने और विरोध करने वाले व्यापारियों के यहाँ छापे का। दोनों ग़लत है या केवल विरोधी दल के व्यापारी के यहाँ छापों को पड़ना सही है?