यूपी में हिन्दू मुस्लिम नेशनल सिलेबस की सख़्त ज़रूरत है। अभी तक जितने प्रयास हुए वे माहौल नहीं बना पा रहे हैं। इसलिए अलीगढ़ चुना गया है। फ़्रंट पर एक नई यूनिवर्सिटी की बात है लेकिन ग़ौर कीजिए कि उसके बहाने किस तरह की बात हो रही है। किनका भूत खड़ा किया जा रहा है। जिस दिन प्रधानमंत्री शिलान्यास करेंगे उस दिन वे शिक्षा को लेकर खूब भाषण देंगे। इस सात साल में यूनिवर्सिटी का क्या हाल हुआ हिन्दी प्रदेश के नौजवान जानते हैं।
दो तीन साल पहले Institue of Eminence का ड्रामा हुआ। इसके तहत जो संस्थान पहले से चल रहे हैं उन्हीं को फंड देकर बेहतर करने की बात हुई। क्या प्रगति है कोई नहीं जानता। अब आप अमर उजाला की इस ख़बर को पढ़िए। बिल्डिंग तैयार है और पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है। ऐसा क्यों हैं?
चूँकि जनता को कुछ दिखना चाहिए तो नेता बिल्डिंग बनाते हैं। बिल्डिंग का शिलान्यास और उद्घाटन करने का दो दो बार मौक़ा मिल जाता है। फिर वो बिल्डिंग या तो ख़ाली रह जाती है या ठीक से चालू होने में दस साल लग जाते हैं या चालू ही नहीं होती। इस आधार पर देखेंगे तो भारत के कई राज्यों में ऐसी हज़ारों इमारतें अस्पताल, स्कूल, कालेज और मंडी वग़ैरह के नाम पर बन कर ख़ाली पड़ी हैं।
आपने अपनी पूरी नागरिकता देखने के नाम पर गढ़ी है उसमें भी आप ठीक से नहीं देखते। हिन्दी प्रदेश के नौजवानों को यूँ ही बर्बाद नहीं किया गया है। सब को कुछ काम मिले इसलिए जाति के नाम पर तरह तरह के नेता पैदा किए जाते हैं ताकि आप जाति के मान सम्मान की लड़ाई में व्यस्त रहें। उसके बाद धर्म तो है ही। सारा ख़ानदान धर्म का बदला लेने की तैयारी में जुटा हुआ होगा। आपकी वही नियति है। उसे ठीक से कीजिए। हिन्दू मुस्लिम या जाति की पहचान की खूबी यह है कि आपका टाइम शानदार कटेगा और विकास के नाम पर स्मारक बनेगा। मूर्ति लगेगी।
(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)