चुनाव या एग्जिट पोल में बीजेपी जीतती है तो मेरा मीम बनने लगता है! पहले के ज़माने में जीत आती थी तो लोग मिठाई बाँटते थे। जलेबी छनवाते थे। अब भी होता होगा लेकिन इसमें मीम जुड़ गया है। विनीत कुमार के डिजिटल डाइट की तर्ज़ पर मीम भी डिजिटल मिठाई है जिसमें दूसरे का मज़ाक़ उड़ा कर ख़ुशियाँ मनाई जाती है।
आई टी सेल के दिमाग़ में मोदी से पहले मैं रहता हूँ। नतीजों को लेकर मेरी प्रतिक्रिया की कल्पना करने लगते हैं। नतीजे के दिन पहले भी मेरी शक्ल को लेकर मीम बनती थी कि मेरा चेहरा कैसा होगा। बीजेपी के जीतने पर उदास होगा या हारने पर ख़ुश होगा। खुद को लेकर ऐसे कई मीम देखे हैं। एग्जिट पोल ने बताया है दस मार्च को यूपी में बीजेपी जीत रही है तो अभी से मेरे नाम पर मीम जलेबी की तरह छनने लगे हैं।
पहाड़ चढ़ जाने से पहाड़ कमज़ोर नहीं हो जाता है। उन्हें पता है कि मैंने जो लिखा और बोला है वो पहाड़ की तरह खड़ा है। अगर बीजेपी के समर्थक जीत की ख़ुशी में मेरे चेहरे को याद रखते हैं तो यह बड़ी बात है। आपको यह ख़ुशी मुबारक। कम से कम आप यही सीख लें कि हंसा कैसे जाता है। मीम बनाने वाले ने अनजाने में एक चीज सही बना दी है। इसमें मैं दोनों हाथ से लिख रहा हूँ। बचपन में बायें हाथ से लिखता था बाद में दायें से लिखने की आदत डाल दी गई।
चुनाव के नतीजों से मैं प्रभावित नहीं होता और न अब चुनाव के कवरेज में बहुत दिलचस्पी लेता हूँ। अनुभव के साथ यह ज्ञात हुआ कि चुनाव के दौरान पत्रकार और जनता इससे संबंधित दस प्रतिशत जानकारी के दायरे में खेलते हैं या खेलाए जाते हैं। चुनाव कैसे लड़ा जा रहा है उसकी अस्सी प्रतिशत जानकारी दोनों की पहुँच से दूर होती है। मतलब कौन कितना और कहाँ से पैसा लाकर खर्च कर रहा या कौन रात में जाकर किसी प्रभावशाली को ख़रीद लेता है ये आप नहीं जान पाते। यह तो एक छोटा सा हिस्सा है। ऐसी ही कई और जानकारियाँ होंगी।बाक़ी सब उछल कूद कर रहे हैं कि मैंने कहा था भाजपा जीतेगी और मैंने कहा था सपा जीतेगी।