संसद के कई सत्र बेकार चले गए। किस बात को लेकर क्योंकि विपक्ष जिन नियमों में चर्चा चाहता है उस पर सरकार राज़ी नहीं है तो फिर ये नियम है किस लिए। सारे नियम होने के बाद अगर हर बार मर्ज़ी सरकार की ही चलेगी तो विपक्ष कैसे काम करेगा। दरअसल सरकार ही नहीं चाहती है कि विपक्ष आवाज़ उठाए। सरकार के पास बहुमत है। ऐसा भी नहीं है कि संख्या का संतुलन ऐसा है कि किसी नियम में चर्चा हो और मतदान हो तो सरकार गिर जाएगी। पूरी तरह से सुरक्षित सरकार कार्य स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार क्यों नहीं करती है। सरकार को इस हंगामे से कोई परेशानी नहीं हैं। इसके बीच बिलों का पास करना जारी है।
आप विपक्ष के सांसदों के सवालों का विश्लेषण कीजिए। हर ज़रूरी सवाल पूछे जा रहे हैं जो पूछे जाने चाहिए। अब उन जवाबों के लिखित जवाब का अध्ययन कीजिए। कई सत्र में रोज़गार को लेकर सरकार के जवाब एक ही ढर्रे के हैं। पूछा जाता है कि मार्च 2020 से मार्च 2021 के बीच कितने लोग बेरोज़गार हुए हैं तो जवाब में डेटा मार्च 2020 के पहले का दिया जाता है। उसी तरह से जब विपक्ष पूछता है कि 2016 में कहा गया था कि 2022 में किसानों की आय दोगुनी होगी तो अभी तक क्या प्रगति है। सरकार के पास इसके भी न कोई आँकड़े हैं और न अध्ययन। बल्कि दस महीने के अंतराल में दो जवाबों की शब्दावलियों में कोई अंतर नहीं दिखता है। ये है सरकार का काम।
27 जुलाई को स्क्रोल की मानवी कपूर की एक रिपोर्ट है। सदन में सवाल पूछा जाता है कि भारत में टीके का उत्पादन कितना हो रहा है। इस सवाल के जवाब में एक दिन में सरकार तीन अलग अलग अनुमान पेश करती है। 20 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले कहा कि भारत बायोटेक एक महीने में एक करोड़ डोज़ का उत्पादन करती है जो आने वाले महीनों में 10 करोड़ डोज़ का उत्पादन करेगी।
एक जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है कि कोविशिल्ड 11 करोड़ डोज़ का उत्पादन कर रही है और भारत बायोटेक ढाई करोड़ डोज़ का। फिर उसी दिन एक और सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय कहता है कि एक महीने में भारत बायोटेक 1.75 करोड़ डोज़ का उत्पादन करती है और सीरम इंस्टीट्यूट 13 करोड़ डोज़ का।
इस तरह से एक महीने में भारत बायोटेक, 1 करोड़, 1.75 करोड़ और 2.5 करोड़ डोज़ का उत्पादन कर रही है और सीरम इंस्टीट्यूट11 करोड़ और 13 करोड़ डोज़ का उत्पादन कर रही है। ऐसा लगता है कि सरकार ख़ुद ही अपने जवाबों को लेकर गंभीर नहीं है। एक ही दिन में एक ही मंत्रालय के आँकड़ों में इतना अंतर कैसे हो सकता है। और सरकार कहती है कि विपक्ष काम नहीं करने दे रहा है। अगर लोगों को इस पर यक़ीन है तो यह मान लेना चाहिए कि सरकार ने लोगों के दिमाग़ का काम करना बंद करवा दिया है!