दिन भर यूक्रेन में फँसे भारतीय छात्रों से बात करता रहा। जंग के मैदान में कोई भी घिर जाए तो होश नहीं रहेगा। रुस का कुछ पता नहीं कि वह कब क्या कर दे। दूसरे देशों के निकल जाने की भी परवाह नहीं की। पंद्रह बीस हज़ार छात्र कम नहीं होते हैं। यह ऐसा मामला नहीं कि विमान भेज कर किसी को मंगा लेना है। वहाँ तो एयर स्पेस ही बंद है तो विमान नहीं जा सकता। तब तक यही दुआ करनी चाहिए कि रुस यूक्रेन के नागरिक ठिकानों पर हमला न करें। वर्ना भारतीय घरों में भारी तबाही आने लगेगी।
यही चिन्ता यूक्रेन के लोगों को लेकर है। वे भी तो इसी तरह से फँसे होंगे। जिस युद्ध को मीडिया यहाँ वीडियो गेम बनाकर पेश कर रहा है उसे एक बार इन छात्रों की धुकधुकी को ठीक से सुनना चाहिए तब पता चलेगा कि वहाँ होना और वहाँ के मसले को यहाँ नमक मिर्च लगाकर दिखाना क्या होगा।
फिर भी भारतीय छात्र संयम रखें। वे जाग रहे हैं। उन्हें नींद कहां आएगी लेकिन सरकार कोशिश कर रही है। यहाँ मीडिया से लेकर विपक्ष तक सब सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वह कदम उठाए। सरकार भी कदम उठा रही है। छात्रों के परिवारवालों को कोई दिलासा कम ही होगा। जब तक बच्चे सुरक्षित घर न आ जाए, कौन माँ-बाप हिम्मत रखेगा। उम्मीद है यह दुनिया और समाज यह समझ सकेगा कि युद्ध किसी के लिए ठीक नहीं है। इससे किसी को कुछ मिलता नहीं।
हिन्दी टीवी चैनलों पर इसके प्रसारण को गौर से देखिए। किस तरह से युद्ध के मंजर को वीडियो गेम में बदल दिया गया है। स्क्रीन पर टैंक चल रहे हैं। यह सब देखते हुए सुनिए कि बताया क्या जा रहा है या फिर आपकी आँखों को चमकदार चीज़ दिखाकर आकर्षित किया जा रहा है। संवेदनशील दर्शक बनिए और नागरिक भी। युद्ध का हमेशा विरोध किया कीजिए। भारतीय छात्रों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कीजिए।