रवीश बोले ‘मज़दूर न तो ट्विटर पर है, न फेसबुक पर और न न्यूज़ चैनलों पर है, वरना वो देखते कि….

नई दिल्लीः कोरोना से निपटने के लिये सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूर अपने अपने घरों को लौट रहे हैं। हालांकि कुछ राज्यों ने अपने अपने राज्य के मजदूरों को लाने के लिये बसें भी चलाईं हैं, लेकिन इसके बावजूद मजदूर पैदल ही सफर कर रहे हैं। कई मजदूर हादसों का भी शिकार हुए हैं, तो कईयों ने पैदल चलने के कारण रास्ते में ही दम तोड़ दिया। ताजा मामला महाराष्ट्र का जालना का है जहां 16 मजदूरों की मालगाड़ी से कटने से मौत हो गई।

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मजदूरों की मौत पर मशहूर पत्रकार रवीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रवीश ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि मध्यप्रदेश के 16 मज़दूर मालगाड़ी से कट कर मरे,थक कर सो गए थे पटरी पर जालना से औरंगाबाद जा रहे 16 मज़दूर मालगाड़ी से कट कर मर गए। एक घायल है। ये लोग पटरियों पर चलते हुए औरंगाबाद जा रहे थे। 36 किमी पैदल चलने के बाद उन्हें नींद आने लगी। थकान ज़्यादा हो गई। लिहाज़ा पटरी पर ही सो गए। इतनी गहरी नींद में चले गए कि होश भी न रहा और उनके ऊपर से ट्रेन गुजर गई। मज़दूर मध्यप्रदेश के शहडोल और उमरिया के हैं।

मज़दूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। वे पैदल चल रहे हैं। उनके पांवों में छाले पड़ गए हैं। बहुत से मजदूर रेल की पटरियों के किनारे किनारे चल रहे हैं ताकि घर तक पहुंचने का कोई सीधा रास्ता मिल जाए। मज़दूर न तो ट्विटर पर है। न फेसबुक पर और न न्यूज़ चैनलों पर है। वरना वो देखता कि उन्हें लेकर समाज कितना असंवेदनशील हो चुका है। सरकार तो खैर संवेदनशीलता की खान है।

लखनऊ से भी खबर है। जानकीपुरम में रहने वाला एक मज़दूर परिवार साइकिल से निकला था। छत्तीसगढ़ जा रहा था। शहर की सीमा पर किसी ने टक्कर मार दी। माता पिता की मौत हो गई। दो बच्चे हैं। अब उनका कोई नहीं है।