नई दिल्लीः अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जहां एक तरफ देश में स्वागत किया जा रहा है, वहीं दूसरी इस फैसले की आलोचना भी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने वालों में कई पूर्व जज भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अशोक कुमार गांगुली ने इस फैसले पर सबसे पहले सवाल उठाए थे। बता दें कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर फैसला सुनाया था, जिसमें कोर्ट ने विवादित ज़मीन का अधिकार राम लला को देते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाए जिसके तहत मंदिरा का निर्माण किया जाए।
जाने माने पत्रकार रवीश कुमार ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि अब तो आपने बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पढ़ लिया होगा? हज़ार पन्नों का ही तो है। अब तो अंतरात्मा से पूछिए कि फ़ैसला कैसा है। अंतरात्मा पर नया बोझ डाल गया या हमेशा के लिए मुक्त कर गया? ऐसे विवादों के लिए यही ताबीज़ है। थोड़ा वक्त गुज़र जाने दें, फिर विचार करें और बात करें। अब बात कीजिए।
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिये अलग से पांच एकड़ ज़मीन दी जाए। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड की याचिकाओं को खारिज कर दिया था। ये दोनों पक्ष भी विवादित ज़मीन पर अपना अधिकार बताते थे, लेकिन कोर्ट में मजबूत दलील नहीं रख पाए तो अदालत ने इनकी याचिका को खारिज कर दिया।
ऐसा माना जा रहा था कि अयोध्या विवाद पर फैसले के बाद देश में सांप्रदायिक दंगे हो सकते हैं, लेकिन जनता ने सूझ बूझ से काम लिया कहीं भी इस फैसले के विरोध में किसी तरह का कोई प्रदर्शन नहीं हुआ। लेकिन इस फैसले पर सवाल जरूर खड़े हुए हैं। पहले मुस्लिम पर्सनलॉ बोर्ड ने इस फैसले पर सवाल उठाए उसके बाद जस्टिस गांगुली ने इस फैसले पर सवाल खड़े किये।