रेल मंत्री जी को फ़र्क़ नहीं पड़ता इससे मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता

सरकारी भर्ती की परीक्षा मुद्दा तो है मगर तब भी सरकारों पर फ़र्क़ नहीं पड़ता। रेलवे ने सहायक लोको पायलट और टेक्नीशियन की भर्ती फ़रवरी 2018 में निकाली थी। आज तक उसकी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। डेढ़ साल से परीक्षा की सारी प्रक्रिया पूरी कर नौजवान ज्वाइनिंग और ट्रेनिंग के चक्कर काट रहे हैं। उनके असंख्य ट्विट करने और मेरे बार बार दिखाने पर भी रेलवे को फ़र्क़ नहीं पड़ा। टुकड़ों टुकड़ों में ज्वाइनिंग होती है और फिर उसके बाद ट्रेनिंग का इंतज़ार शुरू होता है। दो साल हो गए रेलवे की एक और परीक्षा NTPC के फार्म निकले और भरे हुए मगर परीक्षा कब होगी पता नहीं। जब होगी तब से दो से तीन साल जोड़ ले।

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हमारे युवा मेरी परीक्षा मेरी भर्ती करते रहेंगे दबकर मिलकर सभी एक दूसरे के लिए आवाज़ नहीं उठाएँगे फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। इतनी बार शो किया रेलवे की परीक्षा को लेकर। रेल मंत्री को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा।

सोचिए परीक्षा पास करने के बाद ज्वाइनिंग नहीं होती है। ज्वाइन कर लिया तो ट्रेनिंग नहीं होती है। तब तक सैलरी नहीं मिलती है। ट्रेनिंग भी बीच में रोक दी जाती है। उसका भी भत्ता नहीं मिलता। एक तरह से ज्वाइन करने के बाद भी बेरोजगार हैं।

ये रिज़ल्ट है सांप्रदायिक राष्ट्रवाद का। हिन्दू मुस्लिम की राजनीति ने हमारे युवाओं की ये हालत कर दी है।

सरकार चाहे जो दावा करे उसने अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब कर दी है। रेलवे ने रात की ड्यूटी का भत्ता बंद कर दिया है। एक ख़ास वेतनमान के लोगों को अब भत्ता नहीं मिलेगा। यही नहीं तीन साल पहले से जो भत्ता मिल रहा था उसे वापस लिया जाएगा। ऐसा कहाँ होता है लेकिन हो रहा है।

मैं आपको लिख कर दे सकता हूँ कि इनमें से ज़्यादा मुझे गाली देने वाले होंगे। मेरे कार्यक्रम को शेयर तक नहीं कर पाते है। छुप कर प्राइम टाइम देखते हैं।अपने फ़ेसबुक पेज और व्हाट्स एप में गाली देते हैं। ख़ैर कोई बात नहीं लेकिन जो व्यवस्थाएँ ध्वस्त हुईं हैं उसमें इस संस्कृति का भी योगदान है। जिसकी सज़ा सब भुगत रहे हैं।

(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)