रवीश का लेख: बीजेपी बनाम ग़ैर बीजेपी राज्यों की बहस से 100 रुपया लीटर पेट्रोल का रेट सस्ता स्थापित हो गया

2014 में ईंधन पर उत्पाद शुल्क क़रीब 10 रुपया था। 2 फरवरी 2018 को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19 रुपये 48 पैसे था। 6 मई 2020 को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32 रुपये 98 पैसे हो गया। 6 मई 2020 को मोदी सरकार ने उत्पाद शुल्क में 10 रुपये की वृद्धि की थी। 22 रुपये 98 पैसे से बढ़ाकर 32 रुपये 98 पैसे कर दिया। करीब 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कभी इस पर आपने बहस नहीं की होगी, कभी सरकार ने जवाब नहीं दिया होगा लेकिन आप मोदी सरकार के आते ही, पेट्रोल और डीज़ल के नाम पर पैसे दे रहे हैं।आपकी कमाई दिनों-दिन कम होती जा रही है। यहाँ तक कि टीकाकरण के नाम पर भी पैसे लिए गए और आपको पोस्टर दे दिया गया कि मुफ़्त टीका बंट रहा है।

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कितनी आसानी से महंगाई को पेट्रोल की क़ीमतों में समेट कर बहस किसी और दिशा में मोड़ दी गई है। गोदी मीडिया केंद्र से सवाल करने के बजाए ग़ैर बीजेपी राज्यों से पूछ रहा है। वह तब चुप था जब ग़ैर बीजेपी राज्य जीएसटी के बक़ाये को लेकर कराह रहे थे। केंद्र सरकार ने वह हिस्सा राज्यों को कैसे दिया, वह जानने के लिए आप भी मेहनत करें। भारतीय रिज़र्व बैंक से पैसा लेकर दिया गया। पहले राज्यों को लोन लेने के लिए कहा गया था।

विकास के नाम पर यह सरकार कभी कोरपोरेट टैक्स नहीं बढ़ाती है लेकिन पेट्रोल और डीज़ल महँगा कर देती है। जब आप परेशान होते हैं तब आपके लिए बहस की जाल बिछा देती है।मुझे पता है कि आप महंगाई के सपोर्टर बन चुके हैं। बने रहिए। महंगाई का सपोर्टर बनने से एक लाभ तो है। पैसा ख़र्च हो जाता है, दिमाग़ ख़र्च नहीं होता है।