रवीश का लेख: ग़ुलामी का नया दौर, राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर झट से कान पकड़ कर मुर्ग़ा बन जाने वाले लोगों को…

नाइजीरिया की सरकार चाहती है कि सभी नागरिकों की एक पहचान संख्या हो जिसे नेशनल आइडेंटिफ़िकेशन नंबर NIN कहते हैं। इस पहचान नंबर के आधार पर बैंक का खाता खुलेगा और टैक्स जमा होंगे। वहाँ के लोग इसे लेकर कई तरह के सवाल उठा रहे थे। विरोध कर रहे थे। वहाँ की सरकार ने सात करोड़ से अधिक फ़ोन नंबर ब्लॉक कर दिए हैं। लोग किसी को फ़ोन नहीं कर पा रहे हैं।

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यह तो अभी शुरुआत है। कनाडा में प्रदर्शन करने वाले ट्रक चालकों का बैंक ख़ाता ज़ब्त हो गया था। प्रदर्शनकारी लेन-देन नहीं कर सकते थे।

टेक्नॉलजी के नाम पर सरकार के बिछाये हर जाल में फँसने वाले लोगों के सतर्क होने का समय है। वरना ग़ुलामी के लिए तैयार रहें। सरकार एक दिन साँस लेने के लिए ऑक्सीजन की मात्रा भी तय करने वाली है और आप ताली बजाएँगे। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर झट से कान पकड़ कर मुर्ग़ा बन जाने वाले लोगों को एक बार सोचना चाहिए।

काॅपी जांचने वाले शिक्षक


क्या दो शिक्षक अठारह हज़ार उत्तर पुस्तिकाओं की जाँच सकते हैं? एक दिन में एक हज़ार उत्तर पुस्तिकाएं? इस समय सबकी नज़र इन दो शिक्षकों की दिनचर्या पर होनी चाहिए, कब खा रहे हैं, कब जाग रहे हैं, कब कॉपी चेक कर रहे हैं, यह सब दर्ज होना चाहिए। वाक़ई उन दो शिक्षकों के कंधे पर देश का भार आ गया है। शानदार। उन्हें बधाई। सर, एक दिन में एक हज़ार उत्तर पुस्तिकाएं चेक कर रहे हैं, क्या आप बताना चाहेंगे कि एक कॉपी पर कितना सेकेंड या मिनट लगा रहे हैं ? यह ख़बर आज के अमर उजाला में छपी है। यक़ीन नहीं होता है कि ऐसा हो रहा है।

गर्व स्टोर की श्रृंखला


भारत में गर्व स्टोर की एक ऋंखला बनी हुई है। हर दूसरा आदमी गर्व की तलाश में है। स्कूल की फ़ीस नहीं दे पा रहा है लेकिन किसी पोस्ट को पढ़ कर गर्व करने लगता है। गर्व करने की ऐसी लत लगी है कि वह इसके लिए दिन भर अतीत में रहता है। वहीं से गर्व का सामान ढो कर लाता है। गर्व करने के लिए दो धर्म ज़रूरी हैं। अपना धर्म और दूसरा धर्म। दूसरे धर्म का भूत खड़ा कर अपने धर्म पर गर्व किया जाता है। जब तक लोग गर्व करने में लगे हैं, तब तक उन्हें किसी बात की चिन्ता नहीं है।

बुलडोजर बुलडोजर का खेल और क़ानून


बुलडोज़र-बुलडोज़र, इसके नाम पर क़ानून-क़ानून खेलने वाले दरअसल ग़रीबों को निशाना बना रहे हैं। दंगे की आग में उनके ही मोहल्ले झोंके जाएँगे और फिर उन्हीं को दंगाई बताकर घरों को तोड़ा जाएगा। आपके भीतर अपने ही लोगों के प्रति क्रूरता भरी जाएगी। ग़रीब ही दंगाई है। ग़रीब ही अतिक्रमणकारी है। यहाँ ग़रीब का प्रयोग अमीर के संदर्भ में किया गया है। प्राइम टाइम के एक दर्शक ने यह एनिमेशन बनाया है। बताने के लिए कि लोग कैसे ग़रीबों का घर तोड़े जाने पर ख़ुश होते हैं और अमीर नियमों को तोड़ कर और ख़रीदकर ऐश से रह रहे हैं।

(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)