अमर उजाला की खबर में लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी मेरठ में खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने वाले हैं। इसके लिए यूनिवर्सिटी का मॉडल भी दो दिन के भीतर तैयार किया जा रहा है। अख़बार के अनुसार पूरे आयोजन के लिए खर्चे का बजट सात करोड़ रखा गया है। इस तरह से बाक़ी कार्यक्रमों का बजट जोड़िए तब पता चलेगा कि दो महीने के भीतर यूपी में प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों पर कितना पैसा ख़र्च हुआ है।
पाँच साल तक विश्व विद्यालय और खेल का क्या हाल रहा, जनता को पता है। आख़िरी वक्त में जिस तरह से शिलान्यास कार्यक्रम हो रहे हैं, आप कह सकते हैं कि सब सरकार ऐसा करती है। जो ग़लत होता है वो चलता ही रहता है। क्योंकि उनके लिए वही सही होता है। लेकिन इन आयोजनों पर कितना पैसा खर्च हो रहा है इसका हिसाब जनता को मिलना चाहिए। 15 दिसंबर को भोपाल में जनजातीय कल्याण दिवस पर प्रधानमंत्री का एक कार्यक्रम हुआ। चार घंटे के इस कार्यक्रम का बजट 23 करोड़ था। 13 करोड़ का बजट केवल आदिवासियों के लाने ले जाने का था। इसी से हिसाब लगाइये कि प्रधानमंत्री के सरकारी कार्यक्रमों को रैली में बदलने के लिए कितने करोड़ रुपये उड़ाए जा रहे हैं।
जिस राज्य में चुनाव होता है, प्रधानमंत्री का करोड़ों का दौरा होने लगता है। जिस दिन इसका हिसाब जोड़ा जाएगा उस दिन पता चलेगा कि गरीब जनता का पैसा किस तरह खुल कर उड़ाया गया है। आचार संहिता के लागू होने से पहले प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों पर करोड़ों खर्च करने की नई आचार संहिता बन गई है। सबको पता है कि चुनावी दौरा हो रहा है ।
तीन हज़ार करोड़ का बैलेंस रखने वाली बीजेपी का पैसा बच जाए उसके लिए जनता के पैसे उड़ाए जा रहे हैं। इस साल देश कितनी तकलीफ़ में रहा है। लोगों ने पेट काट पर पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स दिए हैं। लेकिन मोदी जी की रैली हर दिन भव्य होती जा रही है। उसे देखकर लगता नहीं कि सरकार के पास पैसे की कमी है। सादगी से तो नाता ही नहीं रहा। बाक़ी आप अच्छा करते हैं कि दिमाग़ नहीं लगाते। भले बेरोज़गार रह जाते हैं। एक रैली में सात करोड़ खर्च होने वाला है। सरकारी खर्चे पर लोग घर से बुलवाए जाएँगे।