अरब के शेख़ों से घबरा गया शेर, गोदी मीडिया की गोद में छिपी मोदी सरकार

भारत के चार पत्रकारों को पुलित्ज़र पुरस्कार मिलता है। पत्रकारिता की दुनिया में इसे सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई तक नहीं दी। गोदी मीडिया के जिन ऐंकरों की वजह से
भारत की नाक कटी है, उनके साथ मोदी के मंत्री सिनेमा देखते हैं। आठ साल में भारत की इतनी बदनामी नहीं हुई थी। यह पहला मौक़ा नहीं है। हिन्दी के अख़बार जनता को अंधेरे में रख रहे हैं।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

भारत की बदनामी की इन ख़बरों को हल्का कर छाप रहे हैं क्योंकि मोदी सरकार का सबसे बड़ा प्रोपेगैंडा यही है कि मोदी के नेतृत्व में दुनिया में भारत का नाम बढ़ा है और मोदी ग्लोबल लीडर हैं। हिन्दी के अख़बार इस झूठ के ग़ुब्बारे में दिन रात हवा भरते रहते हैं। अगर अरब देशों से लेकर इंडोनेशिया और मालदीव तक की नाराज़गी को देख लें तो पता चलेगा कि गोदी मीडिया ने भारत की कितनी बेइज़्ज़ती कराई है। गोदी मीडिया ही मोदी मीडिया है। यह पहला मौक़ा नहीं है। इस गोदी मीडिया के कारण भूकंप के बाद नेपाल की जनता नाराज़ हो गई थी। वहाँ के सोशल मीडिया पर भारत के ख़िलाफ़ ट्रेंड होने लगा था।

बाक़ी अब भी कहता हूँ, अगर आप भारत से प्यार करते हैं तो गोदी मीडिया से प्यार मत कीजिए।इसे देखना बंद कीजिए वरना एक दिन आपको भारत की हालत और गोदी मीडिया की हालत में फ़र्क़ नज़र नहीं आएगा। आप से देखा जाएगा न कुछ किया जाएगा। हम जैसे कुछ पत्रकारों के लिए बची हुई ज़मीन तेज़ी से बंजर होती जा रही है, उनके लिए पाँव धरने की ज़मीन नहीं बची है, ऐसे कुछ लोग किसी कोने में सिसक लेंगे लेकिन आपके लिए तो कोना भी नहीं बचेगा।

हमारी हार इतनी बड़ी नहीं होगी जितनी आपकी होगी। हमारे जैसे कुछ पत्रकारों से जितना हो सकता था, उतना कहा गया और किया गया लेकिन अब नारे का पानी गर्दन तक आ गया है। दम घूँट रहा है। हम ख़ुद को डूबता हुआ देख रहे हैं लेकिन आपको भी उसी नाले में डूबते देख रहे हैं। यहाँ पर और इस शो में जो कहा है, उसकी एक-एक बात को ग़ौर से देखिएगा। आज मेरे पास कोई अपवाद भी नहीं है वरना अपवाद का नाम ले लेता। नहीं समझना है तो आपकी मर्ज़ी।