रवीश कुमार
मुसलमानों से नफ़रत करना इस देश के एक बड़े तबके का मुख्य राजनीतिक काम बन चुका है। यह तबका हर दिन
अलग-अलग जगहों से और अलग-अलग प्रकार के मुद्दों को ले आता है जिसे आगे कर नफ़रत की अपनी सोच को सही साबित करता है। ख़ुद सौ मुद्दों पर चुप रहने वाला दूसरों से हिसाब माँगेगा क्योंकि इसे पता है कि यही वो मुद्दा है जिससे हर नाकामी पर पर्दा डाला जा सकता है। बात अब नाकामी की भी नहीं रही। जनता के एक बड़े वर्ग को हमेशा के लिए इस साँचे में ढाल दिया गया है जहां मुसलमान हमेशा दूसरा है। उसे किसी सफ़ाई से मतलब नहीं है, निंदा से मतलब नहीं है, वह हर निंदा के बाद इस तरह के बहाने ले आता है और चुप्पी का कारण पूछता है। अगर वह अपने ही बोलने की बेवक़ूफ़ियों को समझ लेता तो दूसरों की चुप्पी से परेशान नहीं होता।
इस ‘दूसरावाद’ से नुक़सान मुसलमानों को तो हुआ ही है, हिन्दुओं को भी हुआ है। ‘दूसरावाद’ के इस ज़हर से उनके बच्चों को दंगाई बनाया जा रहा है। विष बनकर कोई अमृत नहीं पा सकता। सात सालों में नफ़रत की इस राजनीति का अंजाम आपने देख लिया। क्रिकेटर शमी के साथ जो हुआ वो त्रिपुरा से लेकर गुरुग्राम में हज़ारों से हो रहा है। फ़र्क़ है कि शमी के साथ सचिन तेंदुलकर हैं लेकिन तेंदुलकर उस सहवाग के ख़िलाफ़ नहीं हैं जिसने पटाखों के बहाने दूसरावाद को हवा दी। महताब आलम का लेख इस दूसरावाद के ज़िम्मेदार लोगों को पहचान रहा है।
भारत के विदेश सचिव ने कहा है कि बांग्लादेश से आर्दश संबंध है। उन्होंने ये बात बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के पंडाल पर हुए हमलों के बाद कही है। बांग्लादेश की सरकार ने हिंसा में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है लेकिन भारत में ऐसी राजनीति और भाषा बोलने वालों को माला पहनाया जा रहा है।ऐसे में जनता उचित ही प्रधानमंत्री मोदी की जगह रवीश कुमार से जवाब माँग रही है क्योंकि उसे पता है जवाब देने में सक्षम कौन है।
उम्मीद है आप धर्म की असुरक्षा की राजनीति को समझेंगे। नहीं समझेंगे तो भी कोई बात नहीं। हम मान लेंगे कि उन्होंने आपको दंगाई बनाने में अच्छी मेहनत की है। आपको डॉक्टर बनाने की हमारी मेहनत में कुछ कमी रही होगी। याद रखिएगा सांप्रदायिकता इंसान को मानव बम में बदल देती है।
(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)