गिरीश मालवीय
इतिहास में इतनी झूठी सरकार कभी देखने को नही मिलेगी बीते रोज़ की न्यूज़ 18 की खबर है कि रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ट्वीट किया है ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर रेलवे बीते छह दिनों से रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही है. मैं सभी राज्यों से अपील करता हूं कि वे अपने फंसे प्रवासियों को बाहर निकालने और वापस लाने में मदद करे.
कौन सी दुनिया मे हो पीयूष गोयल जी? इतना खुला झूठ तो मत ही बोलो, आपके हिसाब से रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेन 6 दिन में चलाई है इसका मतलब है कि कुल 1800 ट्रेंन चली है. वैसे रेलवे ने एक मई से स्पेशल श्रमिक ट्रेंन चलाने की बात की थी तीन दिन पहले अमर उजाला की खबर है ‘भारतीय रेलवे ने गुरुवार को कहा कि उसने एक मई से अब तक यानी सात मई गुरुवार तक मात्र 163 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें ही चलाई हैं। ओर आप तो 300 ट्रेंन पर डे कह रहे हो या तो आप झूठ बोल रहे हो या आपका मंत्रालय झूठ बोल रहा है?
8 मई को नवभारत टाइम्स की खबर है कि लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों, छात्रों और अन्य लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने अबतक कुल 222 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। इसके जरिए रेलवे ने 2.5 लाख से ज्यादा यात्रियों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाया है.
यानी अगर 222 में 163 घटा दिया जाए तो एक दिन में आपने मात्र 59 ट्रेनों का संचालन किया है. अब एक ट्रेंन मे यात्री कितने जाते ये गणित भी जान लीजिए आपकी ही सूचना के अनुसार हर विशेष ट्रेन में 24 कोच हैं। हर कोच में 72 सीटें हैं। लेकिन राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर की तरफ से एक कोच में केवल 54 लोगों को ही बैठाया जा रहा है। यह फैसला सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इसके तहत किसी भी यात्री को मिडिल बर्थ नहीं दी गई है।
यानी 24×54 = 1296 यात्री अब शुक्रवार 8 मई तक आपने ट्रेंन चलाई आपने मात्र 222 यानी 222×1296 ये फिगर हुआ 2 लाख 87, हज़ार 712 वैसे नवभारत टाइम्स की खबर में 222 ट्रेंन से मात्र ढाई लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पुहंचाया जा सका है, अकेले बिहार के कम से कम 40 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए है विभिन्न राज्यों से कुल मिलाकर यह संख्या करोड़ो में होने जा रही है. ऐसे में आप 1200 मजदूर प्रति ट्रेंन के हिसाब से कब तक इन मजदूरों को अपने गृह जिले तक पुहंचा पाओगे.
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)