जीत हार तो अलग बात है। मगर उससे बड़ा सवाल है कि अजेंडा किस का चलेगा? तो उत्तर प्रदेश में अजेंडा प्रियंका गांधी का सेट हो गया है। देखें कैसे? शुक्रवार को प्रियंका प्रयागराज पहुंचीं। वहां दलित परिवार के चार लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। प्रियंका ने वहां पीड़ित परिवार से मिलकर कहा कि वे उस नृशंस नरसंहार के वीडियो देखकर और परिवार से उस भयानक वृतांत को सुनकर हिल गईं। सामंती गुंडों ने मां बेटी से बलात्कार किया। और फिर कुल्हाड़ी से गले काटे। परिवार में एक पुरुष सदस्य बचा। जो सुरक्षा बल में है और झारखंड के नक्सलियों से लड़ रहा है। बाकि महिलाएं हैं। वे पुलिस के पास जाती हैं तो पुलिस उल्टे उन्हीं का मजाक उड़ाती है। बहुत डरी हुई हैं। कैसे रहेंगीं। कौन बचाएगा। प्रियंका ने कहा कि क्या स्थिति है। हर दो चार दिन में वे किसी पीड़ित परिवार के पास जाती हैं। हाथरस में दलित लड़की के साथ बलात्कार के बाद उसके शव को भी परिवार को न देना और पुलिस द्वारा खुद जला देना, लखीमपुर में किसानों को मंत्री पुत्र द्वारा कुचल देना, आगरा में थाने में अरुण वाल्मिकी की मौत, और अब यह प्रयागराज में दलित फूलचंद पासी के परिवार का नरसंहार। और भी सोनभद्र, उन्नाव जाने कितनी जगहें हैं जहां प्रियंका पहुंची।
प्रियंका के इन बयानों और वीडियों के सामने आने के बाद शनिवार को मायावती ने इस पर ट्वीट किया। फिर उसके थोड़ी देर बाद अखिलेश यादव का ट्वीट आया। ये दोनों मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मगर इतने बड़े हत्याकांड के बाद कोई पीड़ित परिवार को हिम्मत बंधाने नहीं पहुंचा। यहां इस समय यह बताना भी जरूरी है कि अब आंसू पोंछने नहीं साथ खड़े होने, डर कम करने के लिए जाना जरूरी होता है। हाथरस से लेकर जितने भी कांड हुए उसके बाद पीडित परिवार को ही और परेशान करने के मामले ही सामने आए। प्रियंका हर जगह पहुंची। और जैसा कि अभी प्रयागराज के मामले में देखा कि उसके बाद अखिलेश और मायवती को ट्वीट करना पड़े। आप के सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने भी किया। केवल ट्वीट। और वह भी इसलिए कि प्रियंका वहां गईं। प्रियंका ने पीडितों के साथ खड़ा होकर हिम्मत का माहौल बना दिया। उन्हें कई बार पुलिस के द्वारा रोका गया। सोनभद्र और लखीमपुर जाते हुए हिरासत में लिया गया। मगर वे पीड़ित परिवारों से मिले बिना वापस आने को तैयार ही नहीं हुईं। मजबूर होकर उन्हें जाने दिया गया। लेकिन उत्तर प्रदेश की कोई पार्टी नम्बर एक से लेकर तीन तक की भाजपा, सपा, बसपा कोई पीड़ित परिवार के साथ खड़े होने को वहां नहीं गया। मगर इसके बावजूद वे अब इन घटनाओं को नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं रहे।
प्रियंका ने गरीब का, दलित का, किसान का महिलाओं का अजेंडा सेट कर दिया है। अब हर पार्टी को चाहे वह सत्ता पक्ष हो या मुख्य विपक्षी दल पीडितों की बात करना पड़ रही है। मायावती और अखिलेश चाहे जाएं नहीं मगर ट्वीट के जरिए ही उन्हें अपना समर्थन देना पड़ रहा है और भाजपा की सरकार को चाहे वह जाति के आधार पर किसी को कम, किसी को ज्यादा मुआवजा दे मगर देना पड़ रहा है। सबसे बड़ी मुसीबत मीडिया की है प्रियंका के वहां जाने के बाद वह घटना को छुपा नहीं पाती है। चाहे कम दे, चाहे अपराधियों का समर्थन करते हुए दे मगर खबर देना पड़ रही है। यही प्रियंका की सफलता है। यही वह न्याय का, कानून व्यवस्था का, गरीब पर जुल्म का, महिला सुरक्षा का, किसान का, और आम जनता का अजेंडा है जो प्रियंका सेट करना चाह रही हैं।
चुनाव के नतीजे चाहे जो हों मगर जनता के वास्तविक सवाल इस दौरान उठना चाहिए और बांटने वाले सवाल जनता से दूर होना चाहिए। प्रियंका यही कर रही हैं। उन्हें अभी यूपी का च्रार्ज संभाले दो साल हुए। मगर इतने कम समय में वे इतनी जगह गईं कि यूपी में जुल्म के, न्याय के सवाल खड़े होने लगे। प्रधानमंत्री को किसान बिल वापस लेना पड़े। कौन सोच सकता था कि अपनी पीछे नहीं हटने वाली छवि बनाए प्रधानमंत्री को अचानक ऐसे अपने कदम वापस खिंचना पड़ेंगे। मगर प्रियंका के लखीमपुर पहुंच जाने से यूपी में किसान का अजेंडा ऐसा सेट हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी को पीछे हटना पड़ा। और उससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक प्रतिक्रिया आई किसानों की। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद माना यह जा रहा था कि किसान खुशी खुशी अपने घर गांव वापस लौट जाएंगे। मगर उन्होंने एमएसपी ( न्यूनतम समर्थन मूल्य की गांरटी) की मांग को जोरदार तरीके से सामने रखते हुए फिलहाल आंदोलन खत्म करने से इनकार कर दिया। किसानों का भरोसा बढ़ा कि प्रियंका और राहुल उनके साथ आखिरी तक डटे रहने वाले लोग हैं। प्रियंका लगातार केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टैनी की बर्खास्तगी की मांग कर रही हैं। किसानों ने अपनी लखनऊ रैली वापस लेने से इनकार करते हुए मंत्री को हटाने की मांग और जोर शोर से उठाना शुरु कर दी।
भाजपा की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि लोगों की जिन्दगी के रोजमर्रा के सवाल उठने लगे। नहीं तो वह चुनाव में केवल हिन्दु मुसलमान चाहती है। अभी जेवर एयरपोर्ट के उद्घाटन के समय मुख्यमंत्री योगी जिन्ना की बातें कर रहे थे।
जाने अनजाने में अखिलेश भी इसमें अपना योगदान दे जाते हैं। और फिर ओवैसी तो है हीं। टीवी के आधे स्क्रीन में उन्हें खड़ा करके बाकी आधे में मीडिया योगी और मोदी को खड़ा करके हिन्दु मुसलमान का जहर उगलना शुरू कर देता है। मीडिया अपनी तरफ से आग लगाने की पूरी कोशिश कर रहा है। लेकिन अब जनता के सामने उसके असली सवाल इतने आ गए हैं कि वह काल्पनिक सवालों में उलझने को तैयार नहीं है। महंगाई, बेरोजगारी से हर आदमी जूझ रहा है। रोजी रोटी के लाले पड़े हुए हैं। वह देख रहा है कि जितना हिन्दु परेशान है उतना ही मुसलमान। टमाटर की कीमत सबके लिए समान है। उसे व्ह्ट्सएप के मैसेजों के जरिए बताया जा रहा है कि नहीं मुसलमान तुमसे ज्यादा परेशान है। महंगाई उसे ज्यादा सता रही है। मगर वह कह रहा है कि ठीक है मान लेते हैं कि मुसलमान ज्यादा परेशान है तो इससे हमारी परेशानी कैसे कम हो गई?
एक राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर भाजपा से लोगों को कुछ ज्यादा परिपक्वता की उम्मीद थी। केन्द्र में दूसरी बार सत्ता में आई है। मगर अभी भी वह कंगना रनौत की सोच से आगे नहीं निकल पा रही है। कभी राखी सावंत की बातों पर हंसा जाता था। मगर आज कंगना तो उससे बहुत आगे निकल गई है। यह सरकार को और भाजपा को ही सोचना पड़ेगा कि कंगना उन्हें देश और दुनिया में सम्मान दिलवा रही है या अपमान। कंगना ठीक है, भक्त ठीक हैं, मीडिया के झूठ ठीक हें मगर उसके परिणाम तो पार्टी और सरकार को ही भुगतना पड़ते हैं। झूठ बहुत भयानक पलटवार करता है। अभी जेवर एयरपोर्ट के उद्घाटन पर मंत्रियों ने चीन के बीजिंग एयरपोर्ट के फोटो ट्वीट करके सरकार और देश दोनों का मजाक उड़वाया। यह उन्हें उसी आईटी सेल से भेजा गया होगा जो हिन्दु मुसलमान के झूठे किस्से रात दिन भक्तों को भेजता रहता है। वह सेल झूठ में इतना लिप्त हो गया है कि अब वह सच और झूठ में फर्क करना भी भूल गया। चीन की सरकार को मौका मिल गया वह मजाक उड़ाते हुए भारत के विश्वस्तरीय एयरपोर्ट के दावे का खंडन कर रही है।
तो अब अन्तरराष्ट्रीय स्तर से लेकर आम जनता तक कुछ मूलभूत सवाल उठने लगे हैं। सत्तारूढ़ पार्टी और सरकार के लिए इनका जवाब देना कोई मुश्किल नहीं है। उसे केवल सच के अजेंडे पर आना होगा। इससे जनता में भी और बाहर भी सरकार की छवि बनेगी। और देश का भी भला होगा। हिन्दु मुसलमान अंतिम सत्य नहीं हैं। सत्य तो जनता ही है। और यही सही अजेंडा है जो अब यूपी में सेट हो गया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एंव राजनीतिक विश्वेषक हैं)