नई दिल्लीः कांग्रेस की स्टार नेता प्रियंका गांधी केंद्र सरकार पर हमला बोला है। सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए प्रियंका ने कहा कि चुनाव के समय यूपी में मेरा एक रोडशो चल रहा था। इस दौरान मैं एक दुकान में पहुंची तो वहां पर कई बहनें इकट्ठा हो गईं। उनसे उनके कारोबार और नौकरी-पेशे की बातें होने लगीं। उसी में से एक महिला ने कहा- मेरी सबसे बड़ी चिंता है कि मेरे बच्चे पढ़-लिख जाएं। मैंने अपनी जिंदगी में जो अभाव देखा, वह मेरे बच्चे न देखें। जो तकलीफें मैंने झेलीं, वह उनको न झेलनी पड़े। एक रोटी कम खाती हूं, अपनी जरूरतें कम करके पैसे बचाती हूं ताकि हमारे बच्चे पढ़-लिख जाएं। फिर तो वे जो चाहेंगे, कर पाएंगे।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या ये हर घर की कहानी नहीं है? आम लोग ऐसे ही दो-दो, चार-चार पैसे जोड़ते हैं ताकि अपने बच्चों को पढ़ा सकें। उनको अच्छे स्कूल, अच्छे कॉलेज में भेज सकें। लेकिन तब क्या हो जब आपकी सरकार ही आपकी यह बचत छीनने पर आमादा हो जाए?
प्रियंका ने कहा कि जनता की छोटी-छोटी बचत पर नजर गड़ाए बैठी भाजपा सरकार ने पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर घटाकर 8.1% कर दी है। यह 44 साल का सबसे निचला स्तर है। करोड़ों नौकरी-पेशा लोग अपनी तनख्वाहों में से पीएफ कटवाते हैं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके, लेकिन भाजपा सरकार आपकी बचत भी आपसे छीनने में लगी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि एक तरफ सरकार अपनी आर्थिक कुनीतियों से बेरोजगारी और महंगाई बढ़ा रही है तो दूसरी तरफ एक-एक करके सारी बचत योजनाओं पर कैंची चला रही है। पीपीएफ और एफडी जैसी बचत पर पहले से ही सबसे निचले स्तर की ब्याज दर लागू की जा चुकी है। अब पीएफ ब्याज दर को भी 44 साल के निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। सत्ता में आने के बाद से भाजपा सरकार ने इसे घटाना शुरू किया और 8 साल के निचले स्तर पर ले आए। इस बार और घटाकर 44 साल के निचले स्तर पर पहुंचा दिया है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि एक तरफ पेंशन खत्म की जा रही है, दूसरी तरफ बचत योजनाओं पर प्रहार किया जा रहा है। कोई व्यक्ति चाहे प्राइवेट नौकरी में हो या सरकारी, देश के विकास में उसका योगदान होता है। जब वे रिटायर होंगे तो क्या करेंगे? कहां जाएंगे? उनका खर्च कैसे चलेगा? इलाज कैसे होगा? क्या यह सोचना सरकार का काम नहीं है? अपने मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए लालच और लूट की नीति पर चल रही यह सरकार लोगों से उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा छीनकर उन्हें असुरक्षित भविष्य और तंगहाली में झोंक रही है।