भारत के युवाओं,
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आज गोदी मीडिया एकजुट होकर रोज़गार पर चर्चा करेगा। अब चर्चा प्रधानमंत्री की ज़्यादा होगी या रोज़गार की, जब चर्चा होगी तब मामला साफ़ हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने ट्विट कर गोदी ऐंकरों की पढ़ाई करवा दी है। रोज़गार पर कभी डिबेट तो किया नहीं, आज काफ़ी रिसर्च करना पड़ेगा।
गोदी ऐंकर चाहें तो प्राइम टाइम के अनगिनत एपिसोड देख सकते हैं, जो हमने रोज़गार पर किए थे और बाद में संसाधनों की घोर कमी के कारण बंद कर दिए। नौकरी सीरीज़ के उन सभी एपिसोड में जितना रिसर्च है, वो काफ़ी है।दुनिया के टीवी के इतिहास में किसी देश के न्यूज़ चैनलों के प्राइम टाइम में सरकारी नौकरी और रोज़गार को लेकर इतने कार्यक्रम नहीं हुए होंगे। हफ़्तों नहीं, महीनों सीरीज़ की है।प्रधानमंत्री चुप रहे।
गोदी ऐंकर को कुछ सवाल दे देता हूँ। चाहें तो वे आज सरकार के प्रवक्ताओं से पूछ सकते हैं। क्या प्रधानमंत्री ने पहली बार ऐसी समीक्षा की है? अगर मोदी हर साल इसी तरह समीक्षा करते तो आठ साल में कितनी भर्तियाँ निकली होती? चालीस लाख या दस लाख? आठ साल तक आप अस्सी रुपए काट लें और फिर कहें कि दसवें साल दस रुपए मिलेंगे तो यह बड़ी ख़बर हो गई?
प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों ने कई प्रोजेक्ट के शिलान्यास के वक़्त दावे किए थे कि अमुक प्रोजेक्ट से लाखों रोज़गार मिलेंगे। क्या आज ऐसे किसी प्रोजेक्ट के दावों को लेकर सवाल पूछे जाएँगे? क्या सरकार जवाब देगी? प्रवक्ताओं से ऐसे सवाल पूछे जाएँगे?
आप जानते हैं, कोरोना के दौरान चुनाव हुए, रैलियाँ हुईं, सेना की भर्तियां बंद हो गई। इससे लाखों नौजवानों की उम्र सीमा समाप्त हो गई। क्या प्रधानमंत्री ने इस सवाल पर चर्चा की? रेलवे की भर्तियाँ क्यों समय पर पूरी नहीं होती, कहीं पुरानी भर्ती की बहाली तो नहीं बची है, क्या प्रधानमंत्री ने इसकी समीक्षा की? क्या इस तरह के सवाल पूछे जाएँगे?
देख लीजिएगा, कहीं आज भी रोज़गार की चर्चा में ये गोदी मीडिया रोज़गार को ही ग़ायब न कर दे, जैसे गोदी मीडिया ने हिन्दू-मुस्लिम डिबेट के बहाने रोज़गार को ग़ायब कर दिया था।
आपका
रवीश कुमार
दुनिया का पहला ज़ीरो टीआरपी ऐंकर