हैदराबादः ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी के अधिकारी द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान देने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश से आये दबाव पर कार्रवाई कर रहे हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया है कि वह सभी भारतीयों का सम्मान करते हैं।” उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री की मंशा यहां उजागर हो गयी है कि वह 20 करोड़ भारतीयों का कोई प्रवाह नहीं करते तथा विदेशी दबाव के कारण ही वह इस पर प्रतिक्रिया किए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, बीस करोड़ भारतीय मुस्लिम शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। उनकी चिंताओं को दूर करने के बजाय पीएम मोदी और अन्य विदेशी प्रतिक्रियाओं से डरते हैं, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि खाड़ी के देशों में यह मसला बड़ा हो गया था इसलिए मजबूरी में देश के PM ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता के ख़िलाफ़ कार्रवाई की। यह गलत है क्योंकि उनको यह कार्रवाई 10 दिन पहले करनी थी। आप मेरे प्रधानमंत्री हैं, आपको मेरी बात सुननी चाहिए। पीएम मोदी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आप विदेशी देशों के नेताओं को खुश करना चाहते हैं। आप उनकी तकलीफ को समझते हैं, आप हमारी तकलीफ नहीं समझते।
क्या था मामला
ज्ञानवापी मस्जिद पर टीवी बहस के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ एक विवादित बयान दिया और दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल ने सोशल मीडिया के माध्यम से अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपनी विचार व्यक्त की।
भाजाप के सत्ता में 2014 में आने के बाद यह अपनी तरह का पहला मामला है जब पार्टी ने अपने बड़े चेहरे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। भगवा पार्टी ने अपने दो प्रवक्ताओं को पैगंबर मोहम्मद और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ विवादित बयान देने पर रविवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
पार्टी ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को मई के अंत में एक टीवी बहस के दौरान दिए विवादित बयान पर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। पार्टी की दिल्ली इकाई ने भी नवीन कुमार जिंदल को भड़काऊ ट्विट करने पर बर्खास्त कर दिया, वह राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी की मीडिया इकाई का नेतृत्व कर रहे थे।
ओवैसी ने सोमवार को टीवी पर शर्मा को उनकी बयान पर गिरफ्तारी की मांग की। नुपूर शर्मा को सोशल मीडिया पर कड़ा विरोध का सामना करना पड़ा। भाजपा से निकाले जान का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद वह अपने आवासीय पते के उजागर होने से चिंतित हैं।