नई दिल्ली: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की मलप्पुरम में आयोजित बैठक में एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि संगठन कर्नाटक के स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ राज्य की मुस्लिम छात्राओं के संघर्ष के साथ खड़ा रहेगा। कर्नाटक की बीजेपी सरकार के विशेष रुप से मुस्लिम धार्मिक निशानियों पर प्रतिबंध के फैसले के पीछे स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक राजनीति काम कर रही है। दुर्भाग्य से हाईकोर्ट इसे समझने में असफल रही और उसने देश की मुस्लिम महिलाओं की एक ऐसी प्रथा के खिलाफ स्टैंड लिया जिसे वे सदियों से अपनी पहचान के तौर पर अपनाती चली आ रही हैं। हिजाब पर प्रतिबंध को बरक़रार रखने का अदालत का फैसला संवैधानिक मूल्यों और धर्म की आज़ादी के सार्वभौमिक सिद्धांत के खिलाफ है। हाईकोर्ट के फैसले से सामाजिक बेदखली को और ज़्यादा बढ़ावा मिलेगा और यह धर्म के नाम पर अत्याचार का एक और बहाना बन जाएगा। पॉपुलर फ्रंट उन छात्राओं के साथ है जिन्होंने हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाने और तब तक अपनी लड़ाई जारी रखने का फैसला किया है जब तक कि उन्हें इंसाफ नहीं मिल जाता।
एक दूसरे प्रस्ताव में पॉपुलर फ्रंट की एनएससी ने ‘‘कश्मीर फाइल्स’’ फिल्म के नाम पर सरकारी सरपरस्ती में बढ़ावा दिए जा रहे इस्लामोफोबिया को खत्म करने की मांग की है। विवेक अग्निहोत्री की फिल्म जिसे खुद प्रधानमंत्री ने देखने को कहा और जिसे टैक्स फ्री करके बीजेपी शासित राज्यों ने प्रमोट किया, वह अब केवल एक फिल्म नहीं रह गई है। फिल्म रिलीज़ होने के बाद की घटनाएं यह बताती हैं कि यह एक नए सोचे-समझे मुस्लिम-विरोधी प्रोपगंडे का हिस्सा है। कश्मीर समस्या के तथ्यों में हिंदुत्व राजनीति के अनुसार फेरबदल करके, यह फिल्म मुसलमानों और बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ नफरत की आग भड़काने का काम कर रही है। देश में कभी ऐसा नहीं हुआ कि खुद सरकार किसी फिल्म के प्रमोशन में लग गई हो। ऐसी कई घटनाएं देखी गईं कि फिल्म देखने के बाद थिएटर में मौजूद भीड़ ने मुसलमानों को बुरा-भला कहा यहां तक कि नरसंहार की दावत दी। बीजेपी बुनियादी राजनीतिक प्रश्नों को दबाने के लिए हद से ज़्यादा नफरती प्रोपगंडे का सहारा ले रही है। पॉपुलर फ्रंट देश की न्यायपालिका से अपील करता है कि वह हालात का संज्ञान लेते हुए सरकारी सरपरस्ती में मुसलमानों के खिलाफ गर्म किए जा रहे नफरत के बाज़ार को बंद करने का काम करे।
एक अन्य प्रस्ताव में पॉपुलर फ्रंट की एनईसी ने यूपी में लिंचिंग की घटनाओं की निंदा की। केवल इस एक हफ्ते में उत्तर प्रदेश में लिंचिंग की दो घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें एक मुसलमान की हत्या और दो के घायल होने की खबर है। चुनाव से पूर्व ज़हरीले चुनाव अभियान के द्वारा प्रदेश में जान-बूझकर मुस्लिम-विरोधी माहौल तैयार किया गया। अब ये घटनाएं उसी का नतीजा हैं। वक्त की ज़रूरत है कि देश की जनता की अंतरात्मा मॉब लिंचिंग की हकीकत का एक सामाजिक बुराई की तरह मुकाबला करे और इसे रोकने की खातिर कानून बनाने के लिए दबाव बनाए।
एक और प्रस्ताव में एनईसी ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई दर्दनाक हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त किया, जिसमें कई लोग मारे गए। खबरों की मानें तो सोमवार को हुई पहली हत्या की घटना के बाद पुलिस समय पर कार्यवाही करने और भीड़ को रोकने में असफल रही, जिसके बाद आठ बेगुनाह लोग मारे गए, जिनमें एक महिला और एक बच्चा भी शामिल हैं। यह कानून व्यवस्था की नाकामी है। पॉपुलर फ्रंट इस घटना की निष्पक्ष जांच और सभी अपराधियों पर कार्यवाही करने की मांग करता है।