नई दिल्ली: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओ एम ए सलाम ने कहा कि भड़काऊ भाषणों के ख़िलाफ दिल्ली पुलिस की एफआईआर दोरंगी है और इसके पीछे असल मंशा बीच की राह दिखाकर अपराधियों की मदद करना है।
उन्होंने कहा कि यह पुलिस और सरकार की असफलता है कि पैग़म्बर मोहम्मद पर नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल की अंतर्राष्ट्रीय आक्रोश का कारण बनने वाली अपमानजनक टिप्पणी के हफ्तों बाद भी ये दोनों आज़ाद घूम रहे हैं। एक बात स्पष्ट है कि शासक दल उनके ख़िलाफ वास्तव में कोई कानूनी कार्यवाही करने का इरादा नहीं रखता। याद रहे कि पार्टी ने पहले इन दोनों प्रवक्ताओं के समर्थन में पूरा दमखम लगा दिया था, लेकिन जब उनकी इस हरकत के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परिणाम सामने आए तब जाकर बीजेपी ने केवल उन्हें पार्टी से निष्कासित किया।
पीएफआई ने कहा कि अब ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल के साथ-साथ दिल्ली पुलिस ने अन्य 30 से अधिक लोगों के ख़िलाफ एफआईआर दर्ज की है जिनमें पीस पार्टी नेता शादाब चौहान, एमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और पत्रकार सबा नक़वी शामिल हैं। भले ही यह हालिया मामला पूर्ण रूप से बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं द्वारा पैग़ंबर मोहम्मद के अपमान से संबंधित है, लेकिन इस मुद्दे को हल करने के बजाय इन एफआईआर में भड़काऊ भाषण देने वालों और उनके ख़िलाफ कार्यवाही की मांग करने वालों दोनों को बराबर का अपराधी ठहराया गया है। भड़काऊ भाषण देने वालों को कंट्रोल करने के बजाय, इन एफआईआर का असल उद्देश्य इस मामले को ठंडे बस्ते में डालना और लोगों को इसके ख़िलाफ बोलने से रोकना है।
सलाम ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट अधिकारियों को आगाह करता है कि इस प्रकार की बीच के रास्ते वाली कायरतापूर्ण कार्यवाहियों से हिंदुत्व कट्टरपंथियों के हौसले और बुलंद होंगे। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी प्रदर्शन तभी ख़त्म होंगे जब सरकार यह दिखाएगी कि सभी हिंदुत्व नफरती सौदागर गिरफ्तार किए जा चुके हैं और यह आश्वस्त करेगी कि राजनीतिक समर्थन के नशे में इस प्रकार की देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने से उन्हें हमेशा के लिए रोक दिया गया है। हम दिल्ली पुलिस से मांग करते हैं कि मुस्लिम नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए।