नई दिल्लीः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद शाकिफ़ ने अपने एक बयान में उन निर्दोष मुसलमानों पर पुलिस की फायरिंग और उनकी हत्या की निंदा की है, जो पैग़ंबर मोहम्मद पर बीजेपी के उच्च पदाधिकारियों द्वारा अपमानजनक टिप्पणी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे। झारखंड के रांची में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के नाम पर, आंसू गैस और वॉटर केनन के इस्तेमाल के बजाय सीधे गोली चलाने का रास्ता अपनाया, जिसके नतीजे में दो नाबालिगों की मौत हो गई। ख़बरों के अनुसार कम से कम 15 अन्य लोग गोली लगने के कारण ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
पीएफआई के नेता ने कहा कि शुक्रवार को देशभर के मुसलमान अपमानजनक टिप्पणी करने वाले बीजेपी नेताओं की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए और यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण थे। प्रदर्शनों के दौरान होने वाली मौतें पुलिस के मनमाने क्रैकडाउन का नतीजा थीं। इसलिए निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की घटनाओं की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ऐसी भी ख़बरें मिली हैं कि रांची में हिंदुत्व भीड़ ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पत्थरबाज़ी की।
मोहम्मद शाकिफ़ इसके अलावा रांची में फायरिंग के दौरान मारे गए एक लड़के के रिश्तेदारों ने इस बात को लेकर भी संदेह जताया है कि गोली हिंदुत्ववादी समूहों की ओर से आई थी या पुलिस की ओर से। क्योंकि झारखंड एक गैर बीजेपी शासित राज्य है, इसलिए वहां इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि हिंदुत्ववादी शरारती तत्वों ने कहीं जानबूझकर तो समस्या पैदा नहीं की।
पॉपुलर फ्रंट ने कहा कि इन राज्यों का प्रदेश प्रशासन पुलिस को कंट्रोल करने में नाकाम रहा है। क्षेत्र में हिंदुत्ववादी तत्वों को प्रदर्शन स्थलों पर परिस्थिति से फायदा उठाने की खुली छूट दी गई। यह बेहद निंदनीय है कि प्रदेश मशीनरी और हिंदुत्ववादी तत्व मुसलमानों को प्रदर्शन के उनके लोकतांत्रिक अधिकार से रोकने के लिए हाथ से हाथ मिला कर काम कर रहे हैं। पुलिस की इस बर्बरता के अलावा यूपी जैसे बीजेपी शासित राज्यों द्वारा प्रदर्शनकारियों के घरों पर बुलडोज़र कार्यवाही स्पष्ट रूप से यह ज़ाहिर करती है कि हिंदुत्ववादी मुसलमानों के इज़्ज़त के साथ जीने से जुड़े गंभीर मुद्दों पर भी उन्हें हर हाल में ख़ामोश रखना चाहते हैं। विरोध करने की सज़ा के तौर पर पुलिस का क्रैकडाउन मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है।
मोहम्मद शाकिफ़ ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट देश की अदालतों से अपील करता है कि वे राज्य सरकारों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को क़ाबू में रखने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करें। सरकार को चाहिए कि वह पैग़ंबर पर अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के ख़िलाफ़ जल्द से जल्द क़ानूनी कार्यवाही करे। साथ ही पॉपुलर फ्रंट उन पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी क़ानूनी कार्यवाही की मांग करता है जो मौत का कारण बनने वाली फायरिंग के आदेश देने के ज़िम्मेदार हैं।