नई दिल्ली: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओ एम ए सलाम ने अपने एक बयान में, आरएसएस द्वारा सभी भारतवासियों को चार तरह के हिंदू क़रार देने के प्रयास पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह देश के बहुलवादी दर्जे का खुला इंकार है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस ने भारत के एक धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी लोकतांत्रिक देश होने को कभी भी स्वीकार नहीं किया, और उसकी मंशा हमेशा से भारत की जनता पर अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा को थोपना रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के द्वारा सभी भारतवासियों का चार प्रकार के हिंदुओं में किया गया हालिया वर्गीकरण भारत की विविधता के प्रति उनकी पुरानी असहिष्णुता का इज़हार है। मौलिक रूप से यह इस बात का दावा है कि हर वह चीज़ जो हिंदू नहीं वह नापसंदीदा है।
ओएम सलाम ने कहा कि भारत की सामाजिक वास्तविकता में ऐसे किसी भी मनमाने वर्गीकरण के लिए कोई आधार नहीं है। आरएसएस का कहना है कि यह चीज़ देश की जनता को एकजुट करेगी, लेकिन वास्तव में सामाजिक स्तर पर इस तरह के प्रयास लगातार उन वर्गों के खिलाफ दुश्मनी और हिंसा का न सिर्फ बीज बोते रहेंगे बल्कि इसे दुरुस्त भी ठहराएंगे, जिन्हें नापसंदीदा समझा जाता होगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान यहां की जनता को अपनी पसंद के धर्म और संस्कृति के साथ अपनी पहचान रखने की पूरी आज़ादी देता है। इसलिए हम सभी को चाहिए कि हम इस तरह की हर धार्मिक या सांस्कृतिक पाबंदी को रद्द करें।