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पेट्रोलियम ईंधन भी उचित समय पर जीएसटी के दायरे में होगा: बजाज

नयी दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव तरुण बजाज ने सोमवार को उम्मीद जाहिर की कि पेट्रोलियम ईंधन भी उचित समय पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ जाएगा। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम ईंधन पर कर और शुल्क केंद्र और राज्यों-दोनों के लिए राजस्व का बड़ा स्रोत हैं। इसलिए ईंधन को जीएसटी के दायरे में रखने को लेकर कुछ आशंका है, लेकिन आने वाले समय में यह जीएसटी के दायरे में आ जाएगा।

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तरुण बजाज यहां उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा ‘जीएसटी की पांच साल की यात्रा और आगे की राह’ विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीएसटी जितना बड़ा कुछ नया करने के लिए कुछ ‘हिचकी’ आना तय है। न केवल सरकार के बीच बल्कि उद्योग और लोगों के बीच सोच में पहले से ही बहुत बड़ा अंतर है और स्पष्ट रूप से जीएसटी की स्वीकार्यता पिछले एक साल में बढ़ी है।

उन्होंने कहा,“ मुझे नहीं लगता कि किसी को यह उम्मीद थी कि पहले दिन से ही सब कुछ जीएसटी के अंतर्गत चला जाएगा। एक नीति निर्माता के रूप में, मैं उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया को अच्छी तरह से करने देख-समझ कर बढ़ने में विश्वास करता हूं। ”

जीएसटी के कारण संगठित क्षेत्र का विस्तार हुआ है क्यों कि कर देने पर ही उत्पादन सामग्री पर चुकाए गए कर में छूट (आईटीसी) का लाभ मिलता है। इससे आयकर संग्रह जैसी बातों पर भी अनुकूल असर हुआ है। आयकर राजस्व बढ़ाने में पिछले साल चुनौतियों के बावजूद, राजस्व में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल जीएसटी पर राजस्व में भी 30 फीसदी की वृद्धि हुई।

कार्यक्रम में अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष विवेक जौहरी ने कहा कि उद्योग से प्राप्त जानकारी जीएसटी को लागू करने में बेहद मूल्यवान रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी जैसे गहन सुधार को एक प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए क्यों कि कई सुशासित विकसित देशों में जीएसटी के सुव्यवस्थित रूप लेने में वर्षों लग गए हैं और अभी भी उनके यहां इसमें सुधार की प्रक्रिया चल ही रही है।

उन्होंने कहा कि आम धारणा के विपरीत डेटा से पता चलता है कि आईटीसी के माध्यम से भुगतान किए गए करों का प्रतिशत पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जब हम एक व्यापक कर आधार पर पहुंच गए होंगे जहां पेट्रोलियम ईंधन, रियल एस्टेट और बिजली भी जीएसटी में शामिल होगी तो जीएसटी दरों में कम करने का अवसर मिल सकता है।

एसोचैम के पिछले अध्यक्ष और ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विनीत अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी भारत के लिए एक ऐसा ऐतिहासिक कर सुधार है जो कई प्रावधानों और फाइलिंग की परेशानी से उद्योगों को बचाता है और यह राष्ट्र निर्माण के लिए बेहतर है।