नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन अधिनियम की पहली बरसी पर पीस पार्टी ने प्रदेश भर में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। पीस पार्टी के प्रभारी इंजीनियर इरफान ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है कि वे 12 दिसंबर को प्रदेश के सभी मुख्यालयों पर इस काले कानून के विरोध में प्रदर्शन करें और अपना राष्ट्रपति के नाम अपना ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपे, उन्होंने कहा कि यह क़ानून भारतीय संविधान की आत्मा के ख़िलाफ है।
इंजीनियर इरफान ने एक वीडियो जारी कर बताया कि पीस पार्टी ने इस काले कानून के ख़िलाफ रिट दायर की हुई है, इसके अलावा हम राष्ट्रपति से भी अपील करते हैं संविधान की मूल आत्मा पर प्रहार करने वाले इस काले क़ानून को निरस्त किया जाए। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान से नारिकों को प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लघन करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं देता लेकिन यह क़ानून लोगों में धार्मिक आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देता है।
पीस पार्टी प्रभारी ने कहा कि हमारे पार्टी अध्यक्ष डॉ. अय्यूब के नेतृत्व में इस काले क़ानून के विरोध में देश भर में विरोध प्रदर्शन किये गए, कोर्ट में दायर की गई लेकिन अभी भी सरकार ने इस काले क़ानून को वापस नहीं लिया है, इसलिये हम राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि इस क़ानून को निरस्त करे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सीएए जैसा नस्लवादी क़ानून हिटलर नीति से प्रेरित है, इसे भारतयी जनमानस बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेगा।
बता दें कि 11 दिसंबर 2019 को सीएए को भारती संसद में पारित हुआ था, इस क़ानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुए, ये प्रदर्शन महीनों तक चलते रहे, कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण देश में अलग अलग जगहों पर चल रहे धरना प्रदर्शनों को कोरोना के संभावित ख़तरे के मद्देनज़र हटा लिया गया था। लेकिन सरकार अभी तक अपने रुख पर क़ायम है, और सीएए पर पीछे नहीं हटी है।