डॉ. कफ़ील ख़ान की रिहाई से पीस पार्टी अध्यक्ष डॉ. अय्यूब समर्थकों को मिला हौसला

नई दिल्लीः राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) के तहत जेल में बंद डॉ. कफ़ील ख़ान की बीती रात रिहाई हो गई। उनकी यह रिहाई हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई है। हाईकोर्ट ने सोमवार सुबह आदेश दिया था कि डॉ. कफ़ील ख़ान पर लगाया गया एनएसए ग़ैरक़ानूनी है उन्हें तुरंत रिहाई किया जाए, जिसके बाद मथुरा जेल में बंद डॉ. कफ़ील ख़ान को देर रात मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई ने पीस पार्टी के कार्यकर्ताओं को हौसला दे दिया है। दरअस्ल पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब 31 जुलई से जेल में बंद हैं। उन पर भी एनएसए लगाया हुआ है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

पीस पार्टी के प्रभारी एंव डॉ. अय्यूब के पुत्र मोहम्मद इरफान ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यूपी की मौजूदा सरकार लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है, और विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि डॉ. कफ़ील ख़ान के लिये पीस पार्टी के लोगों ने समूचे यूपी में एक दिवसीय प्रदर्शन किया था। अब वे जेल से बाहर हैं। मोहम्मद इरफान ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं, जेल में पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब को जल्द से जल्द रिहा किया जाए, अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो हम पूरे उत्तर प्रदेश में आंदोलन करेंगे।

पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शादाब चौहान ने द रिपोर्ट से बात करते हुए कहा कि डॉ. कफ़ील ख़ान के मामले से यह बात साबित हो गई है कि यूपी सरकार एनएसए का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह इलाहबाद हाईकोर्ट ने कफ़ील मामले में प्रशासन को फटकार लगाई है उससे सिद्ध हो गया कि राजनीतिक दुर्भावना के चलते सूबे की सरकार एनएसए का मनमाना प्रयोग कर रही है.

जानकारी के लिये बता दें कि पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब 31 जुलई से जेल में बंद हैं। उन्हें 31 जुलई की रात को बड़हलगंज स्थित उनके क्लीनिक से यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार करके लखनऊ लाया गया था। इसके दो दिन बाद उन पर रासुका लगा दी गई।  डॉ. अय्यूब पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर से एक संविधान विरोधी विज्ञापन उर्दू अख़बार में प्रकाशित कराया था।  डॉ. कफ़ील ख़ान की रिहाई के बाद पीस पार्टी कार्यकर्ताओं को भी हौसला मिल गया है, उन्हें लगता है कि यूपी सरकार द्वारा उनकी पार्टी अध्यक्ष को परेशान किया जा रहा है, लेकिन न्यायपालिका से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है।