पंडित जी ने मुस्लिम युवकों के कांधे पर सवारी करके अपनी बैकुंठ यात्रा पूरी की.

कृष्णकांत
क्योंकि असल जिंदगी ट्विटर नहीं है, न ही आईटी सेल असल दुनिया है. नफरत असली भारत की सच्चाई नहीं है. पंडित गंगा प्रसाद कानपुर में रहते थे. उनका परिवार गोंडा में रहता है. पंडित जी के गुर्दे खराब हो गए थे. हालत बिगड़ी तो अजीमुल्लाह, सलीम और अन्य लड़के मिलकर उन्हें अस्पताल ले गए. लेकिन गुर्दे खराब हो गए थे, उन्हें बचाया नहीं जा सका. कानपुर के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया. परिवार लॉकडाउन के चलते गोंडा से नहीं आ पाया. कोई रिश्तेदार भी नहीं पहुंचा.अजीमुल्लाह ने पंडित जी के बेटे को खबर दी, लेकिन वे पहुंच नहीं सकते थे. अजीमुल्लाह ने कहा, पंडित जी बहुत जिंदादिल इंसान थे. हम सब उन्हें पंडित जी कहकर पुकारते थे. परिवार का कोई नहीं आ पाया तो पहले तो उनके धर्म को लेकर थोड़ी घबराहट हुई, लेकिन मोहल्ले वालोंं ने हौसला दिया.
 
अजीमुल्लाह, आफताब, इमरान, नूर, नदीम, सलीम, अहमद, नदीम, जावेद आदि कई युवकों ने मिलकर पंडित जी को कंधा देकर अंतिम यात्रा कराई उनका दाह संस्कार कराया है. इस सबमें इन लोगों के अपनी जेब से पैसे भी खर्च किए, क्योंकि उनके परिवार का कोई नहीं था.
 
इसी देश में लोग जाति और धर्म के आधार पर छुआछूत मानते हैं. इसी देश में यही सारे लोग एक दूसरे को सहारा देते हैं. मैं गोंडा का हूं, मैं जानता हूं कि पंडित जी किसी मुसलमान का छुआ नहीं खा सकते हैं. लेकिन मुसलमान के कंधे पर महाप्रयाण कर गए. मुस्लिम युवकों ने बेटे की तरह पिंडदान भले न किया होगा, लेकिन मुखाग्नि दी. ईश्वर पंडित जी की आत्मा को शांति दे और इन युवकों को खूबसूरत जिंदगी अता करे.
 
नदीम का कहना है, हम सब इंसान हैं. धर्म और मजहब ऊपर वाले ने नहीं बनाए हैं. यह तो जमीन पर रहने वालों ने बनाई है.आजकल सेकुलरिज्म, लोकतंत्र, सौहार्द, आदि का मजाक उड़ाने का चलन है. कुछ लोग हैं जो भारत की गंगा जमुनी तहजीब का मजाक उड़ाते हैं कि यह ढकोसला है. उनसे कह दो कि वे भारत और इसकी संस्कृति को नहीं जानते.
 
आजकल कई खबरें देख रहा हूं कि हनुमान भक्त हिंदू रोजा रख रहे हैं. आप सोचिए कि भारत आस्थाओं का महासागर है.किसी समुदाय के लोग कहीं पर अच्छा काम कर रहे हैं तो कहीं पर अपराध में भी लिप्त हो सकते हैं. वे दोनों एक दूसरे के पूरक नहीं हैं. इनके आधार पर धारणाएं बनाने का खेल बंद होना चाहिए. अपराधी को दंड मिले, सज्जनों को सम्मान मिले.
 
यह भारत है. यहां पर गंगा में वजू करके हनुमान मंदिर में शहनाई बजाने वाले को हमने अपनी आंखों से देखा है. यहां का इतिहास कृष्णभक्त मुसलमान कवि के बिना पूरा नहीं होता. यह कबीर का देश है. इस देश में वे कौन मूरख हैं जो लौकी-तरोई को हिंदू-मुसलमान बनाने निकले हैं?यहां रहीमदास के कंधे पर सवार होकर रामदास श्मशान जाता है. पंडित गंगा प्रसाद भी अजीमुल्लाह, सलीम और जावेद के कंधे पर सवार होकर दुनिया से कूच कर गए. यहां पर कोई किसी का बहिष्कार कैसे करेगा?